पाकिस्तानी मीडिया की झूठी खबरें एक बार फिर दुनिया के सामने शर्मिंदगी की वजह बन गईं. इस बार नाम आया है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का. 17 जुलाई को पाकिस्तान के कुछ बड़े मीडिया चैनलों ने दावा किया कि ट्रंप सितंबर में इस्लामाबाद का दौरा करने वाले हैं. ख़बर इतनी तेजी से फैली कि खुद वॉइट हाउस को सामने आकर सफाई देनी पड़ी कि ऐसा कोई दौरा तय नहीं है.
बिना पुष्टि के चला दी गई ‘बड़ी खबर’
इस अफवाह की शुरुआत तब हुई जब जियो न्यूज़ और एआरवाई जैसे बड़े पाकिस्तानी चैनलों ने अचानक यह ब्रेकिंग न्यूज़ चलानी शुरू कर दी कि ट्रंप 18 सितंबर को पाकिस्तान आ सकते हैं. उन्होंने यहां तक जोड़ दिया कि ट्रंप भारत भी जाएंगे और क्वाड सम्मेलन में शामिल होंगे.
समस्या सिर्फ ये नहीं थी कि यह खबर झूठी थी, बल्कि यह भी कि इसके पीछे कोई ठोस स्रोत नहीं था. खबर को उठाने से पहले किसी ने यह ज़हमत नहीं उठाई कि वॉइट हाउस या अमेरिकी विदेश मंत्रालय से पुष्टि कर लें.
वॉइट हाउस ने किया साफ़ इनकार
जब ये खबर वायरल होने लगी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नज़र इस पर गई, तो वॉइट हाउस को आधिकारिक बयान जारी करना पड़ा. साफ कहा गया, “इस समय पाकिस्तान की कोई यात्रा तय नहीं है.” इस बयान के आते ही पाकिस्तानी चैनलों की किरकिरी शुरू हो गई.
जियो न्यूज ने बाद में अपने दर्शकों से माफी मांगते हुए खबर को वापस ले लिया. रॉयटर्स के मुताबिक, चैनल ने कहा कि वह बिना पुष्टि के खबर प्रसारित करने के लिए खेद जताता है. एआरवाई न्यूज़ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी रॉयटर्स को बताया कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से जब उन्हें इस यात्रा की जानकारी न होने की बात पता चली, तब जाकर उन्होंने पीछे हटने का फैसला किया.
किंग चार्ल्स के साथ पहले से तय है ट्रंप की मुलाकात
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप का सितंबर में ब्रिटेन का दौरा पहले से ही सार्वजनिक है. 17 से 19 सितंबर के बीच किंग चार्ल्स अमेरिकी राष्ट्रपति और फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप की मेज़बानी करेंगे. यह जानकारी खुद ब्रिटिश शाही परिवार ने दी थी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसे रिपोर्ट किया था. ऐसे में यह और भी चौंकाने वाला था कि पाकिस्तानी मीडिया को इसकी भनक तक नहीं लगी.
सवाल ये है कि ऐसी गलतियां बार-बार क्यों?
पाकिस्तानी मीडिया का यह रवैया कोई नई बात नहीं है. अक्सर वहां की मीडिया या तो सरकार की लाइन पर चलती है या फिर सनसनी फैलाने की होड़ में तथ्यों को ताक पर रख देती है. लेकिन इस बार मामला थोड़ा बड़ा था, क्योंकि इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख पर असर पड़ा है.
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