ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं, लेकिन जून में जो हुआ, उसने मध्य पूर्व के हालात को एक बार फिर से गर्मा दिया. जब अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइटों पर हमला किया, तो डोनाल्ड ट्रंप ने इसे "बड़ी जीत" करार दिया था. दावा किया गया कि तीनों ठिकाने तबाह कर दिए गए. मगर अब जो रिपोर्ट सामने आई है, वो अमेरिकी दावों की हवा निकाल रही है.
सिर्फ एक ठिकाना तबाह, बाकी लगभग सुरक्षित
NBC न्यूज की एक खास रिपोर्ट में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के आकलन का हवाला दिया गया है, जिसके मुताबिक अमेरिका ने ईरान के जिन तीन परमाणु स्थलों पर हमला किया था — उनमें से केवल नतांज साइट को ही गंभीर नुकसान पहुंचा है. बाकी दो जगहों — फोर्डो और इस्फहान — में हल्का-फुल्का नुकसान हुआ है, जिसे ईरान कुछ ही महीनों में ठीक कर सकता है. रिपोर्ट साफ करती है कि ट्रंप प्रशासन ने जितना बड़ा दावा किया था, जमीनी सच्चाई उससे काफी अलग है. यानी कि तीन में से दो परमाणु ठिकाने लगभग सुरक्षित हैं और जल्दी ही फिर से सक्रिय हो सकते हैं.
'हम बड़े हमले की योजना में थे, लेकिन ट्रंप ने रोक दिया'
एक और दिलचस्प खुलासा रिपोर्ट में यह है कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने ईरान पर एक लंबा हमला करने की तैयारी कर ली थी — एक रात का नहीं, बल्कि कई हफ्तों तक चलने वाला ऑपरेशन. पर जैसे ही ये योजना ट्रंप के सामने पेश की गई, उन्होंने साफ मना कर दिया. कारण? ये उनकी विदेश नीति के हिसाब से फिट नहीं बैठता था. इस फैसले पर एक अधिकारी ने NBC से कहा, "हम ऑप्शन को आगे बढ़ाने के लिए तैयार थे, लेकिन राष्ट्रपति ऐसा नहीं चाहते थे."
बंकर बस्टर बम का पहली बार युद्ध में इस्तेमाल
22 जून को हुए इस हमले में अमेरिका ने GBU-57 बंकर बस्टर बम का पहली बार इस्तेमाल किया. इन बमों को खासतौर पर उन ठिकानों के लिए तैयार किया गया है, जो ज़मीन के कई सौ फीट नीचे छिपे होते हैं. खासकर फोर्डो, जो पहाड़ के नीचे गहराई में बना है, वहां इन्हीं बमों से हमला किया गया.
लेकिन इतनी भारी मार के बाद भी, फोर्डो और इस्फहान में कुछ खास असर नहीं पड़ा — यानी तकनीकी रूप से अमेरिका ने बड़ी ताकत दिखाई, लेकिन नतीजा उम्मीद के मुताबिक नहीं निकला.
नतांज साइट को बर्बाद होने में लगेगा वक्त
सीआईए डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने जानकारी दी कि नतांज स्थित यूरेनियम रूपांतरण सुविधा इतनी बुरी तरह नष्ट हुई है कि उसे फिर से तैयार करने में ईरान को कई साल लग सकते हैं. यानी तीन ठिकानों में से एक में अमेरिका ने सचमुच बड़ा नुकसान किया है.
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस्फहान और फोर्डो में संवर्धित यूरेनियम का अधिकांश हिस्सा मलबे के नीचे दब गया है. इससे ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को वापस उसी स्तर पर लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
ईरान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि ईरान खुद ही इन नष्ट हो चुके ठिकानों को बंद करने या खत्म करने की दिशा में बढ़ रहा हो. यानी ईरान अब भी इन्हें फिर से चालू करने की कोशिश कर सकता है — बस उसे समय और संसाधन चाहिए.
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