Trump On Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए सीजफायर समझौते पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने इसे "ऐतिहासिक फैसला" बताया और कहा कि इस अहम मोड़ तक पहुंचने में अमेरिका की भी भूमिका रही है.
सीजफायर पर ट्रंप की पोस्ट ने खींचा ध्यान
ट्रंप ने लिखा, "मुझे खुशी है कि भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व ने यह समझौता आपसी सहमति से किया. यह निर्णय लाखों लोगों की जान और तबाही को रोक सकता है. दोनों देशों के नेताओं ने जो साहसी कदम उठाया है, वह उनकी विरासत को और मजबूत करेगा."
उन्होंने कहा कि भले ही इस मसले पर दोनों देशों से बहुत ज्यादा बातचीत नहीं हुई, लेकिन अमेरिका ने शांति की इस दिशा में मदद की और भविष्य में व्यापार को और बढ़ावा देने की योजना है. इसके साथ ही ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भी बड़ा दावा करते हुए लिखा, "हम साथ मिलकर कोशिश करेंगे कि ‘हज़ार साल’ पुराने कश्मीर विवाद का समाधान निकाला जा सके."
सीजफायर की शुरुआत कैसे हुई?
डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई की शाम 5:37 बजे सीजफायर का ऐलान किया था. इसके कुछ ही देर बाद भारत और पाकिस्तान की ओर से भी इस पर आधिकारिक पुष्टि हुई. भारत की ओर से विदेश सचिव ने और पाकिस्तान की तरफ से विदेश मंत्री ने इस समझौते की पुष्टि की. भारत ने यह स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सीधे संवाद के माध्यम से हुआ है, जिसमें पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) की ओर से पहला कॉल आया था और उसी के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.
22 अप्रैल के पहलगाम हमले से भड़का तनाव
सीजफायर की पृष्ठभूमि 22 अप्रैल को हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान और POK में मौजूद आतंकी ठिकानों पर जवाबी एयर स्ट्राइक की थी. उसी दौरान ट्रंप ने भी भारत की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया था.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने LOC पर फायरिंग और ड्रोन हमलों की शुरुआत की, लेकिन भारत ने हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान की रणनीति को असफल कर दिया. इस पूरे तनाव के दौरान अमेरिकी नेतृत्व, खासकर ट्रंप, लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए थे.
क्या ट्रंप की मध्यस्थता से कश्मीर मसला सुलझेगा?
ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर कश्मीर विवाद को वैश्विक विमर्श में ला खड़ा किया है. हालांकि भारत हमेशा से कश्मीर को "अंतरराष्ट्रीय नहीं, बल्कि द्विपक्षीय मुद्दा" मानता आया है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप की यह ‘हजार साल वाला दावा’ किस दिशा में जाता है.
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