नई दिल्ली: भारतीय सेना के उप सेना प्रमुख, लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को न केवल सीमापार आतंकवाद से, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से मिल रही तकनीकी चुनौतियों से भी जूझना पड़ा. फिक्की द्वारा आयोजित 'न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज़' सम्मेलन में बोलते हुए, उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन भारतीय रक्षा नीति और टेक्नोलॉजी की दिशा को पुनर्परिभाषित करने वाला साबित हुआ.
चीन-पाकिस्तान और तुर्किये की भागीदारी
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान अग्रिम मोर्चे पर था, जिसके सैन्य साजो-सामान का 81% हिस्सा चीन निर्मित है. उन्होंने कहा, "चीन ने न केवल पाकिस्तान को सैन्य रूप से समर्थन दिया, बल्कि भारतीय सेना को हथियारों की टेस्टिंग लैब की तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया."
#WATCH | Delhi: At the event 'New Age Military Technologies' organised by FICCI, Deputy Chief of Army Staff (Capability Development & Sustenance), Lt Gen Rahul R Singh says, "Air defence and how it panned out during the entire operation was important... This time, our population… pic.twitter.com/uF2uXo7yJm
— ANI (@ANI) July 4, 2025
तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को प्रदान किए गए आधुनिक ड्रोन, जैसे बैरकटार, ने भी इस संघर्ष को तकनीकी रूप से जटिल बना दिया. उन्होंने इसे ‘तीन दिशाओं से आए खतरे’ का उदाहरण बताया.
ऑपरेशन सिंदूर: एक रणनीतिक बदलाव
अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 निर्दोष टूरिस्ट्स की जान गई थी, भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर लक्षित हवाई हमले किए. इस अभियान में लगभग 100 आतंकियों को ढेर किया गया.
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने खुलासा किया कि सभी 21 संभावित टारगेट्स में से अंतिम समय में 9 को निशाना बनाने का निर्णय उच्च स्तरीय डेटा एनालिटिक्स और इंटेलिजेंस के आधार पर लिया गया.
आधुनिक युद्ध: अगली बार की तैयारी आज से
डिप्टी COAS ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य के युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाएंगे. उन्होंने कहा, "अब यह जरूरी है कि हम एयर डिफेंस, काउंटर-ड्रोन और आर्टिलरी रोधी प्रणालियों में तेज़ी से निवेश करें. अगली बार हमला हमारे नागरिक केंद्रों पर भी हो सकता है."
उन्होंने इस संदर्भ में इज़राइल के 'आयरन डोम' जैसे रक्षा तंत्रों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत जैसे विशाल देश के लिए ऐसी प्रणाली विकसित करना कठिन जरूर है, लेकिन अनिवार्य है.
'फिफ्थ जनरेशन वॉरफेयर' की चुनौती
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत को अब पांचवीं पीढ़ी के युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, जिसमें साइबर विशेषज्ञ, AI आधारित सिस्टम, और ड्रोन स्वार्म युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना इस दिशा में सक्रिय है और सितंबर-अक्टूबर तक ड्रोन फ्रेमवर्क जारी किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कई अहम तकनीकी तत्व — जैसे इंजन और संवेदनशील तकनीक — अब भी भारत को विदेशों से मंगाने पड़ते हैं, और इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करना प्राथमिकता होनी चाहिए.
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