मध्य पूर्व की सियासत में एक बार फिर भूचाल आया था. इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर था और दोनों देश मिसाइलों की बरसात कर रहे थे. अमेरिकी बंकर बस्टर बमों से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद स्थिति और बिगड़ती नजर आ रही थी. फिर अचानक, एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे इलाके की तकदीर पलट दी. ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं, जिससे युद्ध की संभावना और भी भयावह लगने लगी. मगर कुछ ही घंटों में ऐसा मोड़ आया कि सब कुछ थम गया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी.
मिसाइल हमलों के बाद शांति की पहल
सोमवार की देर रात ईरान ने कतर के अल-उदेद अमेरिकी बेस पर छह मिसाइलें दागीं. कतर ने दावा किया कि मिसाइलें सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर ली गईं और कोई नुकसान नहीं हुआ, जबकि ईरान की मेहर न्यूज एजेंसी ने कहा कि कम से कम तीन मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचीं. इस हमले के बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने तेहरान से फोन पर संपर्क किया और अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव पर ईरान की सहमति ले ली.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह संवाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर हुआ था, जिन्होंने कतर के अमीर से बात कर इजरायल और ईरान के बीच समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
ट्रंप की रणनीति: नेतन्याहू से युद्धविराम का समझौता
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप ने खुद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत कर युद्धविराम सुनिश्चित किया. इस शर्त पर कि अगर ईरान कोई हमला नहीं करेगा तो इजरायल भी जवाबी कार्रवाई से बचेगा. इस बीच, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी ईरानी अधिकारियों से संपर्क में थे.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “अब सभी पक्ष अपनी सेनाएं वापस बुला लेंगे, 12 घंटे के भीतर शांति स्थापित होगी और 24 घंटे में युद्ध समाप्त माना जाएगा.” विशेषज्ञों का मानना है कि यह ‘ऑपरेशनल ब्रेक’ था — दोनों देशों को अंतिम सैन्य तैयारियां पूरी करने और सम्मानजनक तरीके से युद्धविराम लागू करने का अवसर.
जमीनी हालात अभी भी तनावपूर्ण
हालांकि ट्रंप ने शांति का एलान किया है, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है. इजरायली सेना ने तेहरान के कुछ इलाकों से नागरिकों को निकालने की चेतावनी जारी की है. दक्षिणी गोलान हाइट्स में ड्रोन और वायु हमले का खतरा बना हुआ है. इजरायल ने तेहरान की एविन जेल और अन्य सरकारी केंद्रों पर हमले कर ईरानी शासन को कमजोर करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.
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