जब किसी की जान बचाने की बात आती है, तो डॉक्टर किसी मसीहा से कम नहीं होते. विज्ञान और तकनीक के सहारे चिकित्सा जगत ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया है. चीन में डॉक्टरों ने एक ऐसा काम किया है, जिसने मेडिकल साइंस की दिशा ही बदल दी है. पहली बार एक इंसान में सूअर का फेफड़ा ट्रांसप्लांट किया गया है और वह भी सफल रहा.
पहली बार हुआ ऐसा ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन
चीन के गुआंगझोउ शहर के नेशनल क्लिनिकल रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने यह ऐतिहासिक सर्जरी की है. नेचर मेडिसिन जर्नल में सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रांसप्लांट एक 39 वर्षीय दिमागी रूप से मृत व्यक्ति पर किया गया. डॉक्टरों ने सूअर का फेफड़ा निकालकर मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया, और यह अंग 9 दिनों तक सामान्य रूप से काम करता रहा.
क्या होता है ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन?
जब एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में अंग प्रत्यारोपित किया जाता है, तो उसे ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है. यह तकनीक अंगों की भारी कमी की वैश्विक समस्या का समाधान बन सकती है. दिल और किडनी के ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन में पहले कुछ सफलता मिल चुकी थी, लेकिन फेफड़े की संरचना और हवा से सीधा संपर्क इसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बनाते हैं.
कौन था डोनर सूअर?
इस केस में 70 किलोग्राम का चीनी बामा जियांग प्रजाति का नर सूअर डोनर बना. उसके फेफड़े को ट्रांसप्लांट करने के बाद, मानव शरीर में कोई गंभीर रिएक्शन नहीं हुआ और यह फेफड़ा कई दिनों तक ठीक से कार्य करता रहा.
क्यों है ये उपलब्धि खास?
यह उपलब्धि केवल एक सर्जिकल सफलता नहीं, बल्कि मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत हो सकती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, कुछ और परीक्षण और रिसर्च के बाद यह टेक्नोलॉजी भविष्य में लाखों लोगों की जान बचा सकती है. हालांकि अब भी ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन से जुड़ी इम्यून सिस्टम, संक्रमण और लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस जैसी कई चुनौतियों पर काम किया जाना बाकी है.
ये भी पढ़ें: दुनिया की साजिशों के बाद भी क्यों नहीं टूटता भारत रूस का रिश्ता, क्या है दोनों को बांधने वाली डोर?