वाशिंगटनः क्या आपका स्मार्टफोन अचानक क्रैश हो रहा है? क्या बिना किसी कारण के आपका डिवाइस फ्रीज़ हो जाता है या ऐप्स बंद हो जाती हैं? अगर आप सरकार से जुड़े किसी महकमे, मीडिया या टेक्नोलॉजी सेक्टर से हैं—तो ये केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक ‘डिजिटल घुसपैठ’ का हिस्सा हो सकता है.
2024 के अंत से लेकर 2025 की शुरुआत तक एक खतरनाक और रहस्यमयी साइबर पैटर्न ने अमेरिकी अधिकारियों, टेक एक्सपर्ट्स और पत्रकारों को चौंका दिया. ये पैटर्न किसी सामान्य वायरस का हिस्सा नहीं, बल्कि चीन से जुड़ी एक सुसंगठित साइबर ऑपरेशन की ओर इशारा करता है.
न कोई लिंक, न कॉल – हैक हो गया फोन!
साइबर सिक्योरिटी फर्म iVerify के विशेषज्ञों ने जो पैटर्न पकड़ा है, वो सामान्य नहीं है. इस हमले में किसी यूजर से संपर्क किए बिना ही मोबाइल डिवाइस को टारगेट किया गया—यानि कोई लिंक क्लिक करने की भी ज़रूरत नहीं थी. यह हमला सिर्फ फोन के भीतर एक बग को ट्रिगर कर देता है और फिर सारा सिस्टम एक्सपोज़ हो जाता है. iVerify के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर रॉकी कोल, जो पहले NSA और गूगल के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रह चुके हैं, कहते हैं: “हम मोबाइल सिक्योरिटी के सबसे गंभीर संकट के दौर में हैं. आज किसी को नहीं पता कि उनका फोन कौन चला रहा है.”
टारगेट कौन थे?
जिन लोगों को इस हमले का निशाना बनाया गया, वे सभी किसी न किसी तरह से चीन से जुड़े मामलों में सक्रिय थे. इनमें अमेरिकी सरकारी अधिकारी, मीडिया पर्सनालिटी और टेक इंडस्ट्री के प्रोफेशनल शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के अमेरिकी चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप और उनके करीबी जेडी वेंस के फोन तक पहुंच बनाने की कोशिश भी की गई थी.
राजा कृष्णमूर्ति का बड़ा बयान
हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के सदस्य और डेमोक्रेट नेता राजा कृष्णमूर्ति ने एपी को बताया कि इस अटैक से हैकर्स “रीयल टाइम में फोन कॉल सुनने और टेक्स्ट पढ़ने की स्थिति में थे.” यानि किसी सुरक्षा सिस्टम को बायपास किए बिना, सीधे आपके कम्युनिकेशन सिस्टम को एक्सेस किया जा रहा था.
चीन का इनकार और पलटवार
चीन हमेशा की तरह साइबर जासूसी के आरोपों से इनकार कर रहा है. उनका दावा है कि अमेरिका खुद साइबर हमलों में शामिल है और राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाकर चीनी कंपनियों को ग्लोबल बाज़ार से बाहर करना चाहता है.
हाल ही में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा: “CIA खुद चीनियों को मुखबिर बनाने की कोशिश कर रही है. अमेरिका खुद दूसरे देशों के सीक्रेट चुराने के लिए सभी गलत तरीके अपनाता है.”
डिजिटल वारफ़ेयर
साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, डिजिटल फ्रंटलाइन पर युद्ध लड़ रहा है. वे AI, साइबर निगरानी, स्पाईवेयर और ऑनलाइन प्रोपेगेंडा के ज़रिए धीरे-धीरे अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक नींव को हिला देना चाहते हैं.
यह पूरी घटना बताती है कि अब युद्ध केवल टैंकों या मिसाइलों से नहीं, आपके पॉकेट में रखे स्मार्टफोन से भी लड़ा जा सकता है. और जब फोन आपकी जासूसी करने लगे—तो सवाल ये नहीं कि आपने क्या छुपाया है, सवाल ये है कि कितनी देर तक छुपा पाएंगे?
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