भारत के दुश्मन नहीं हम...चीनी विदेश मंत्री का बड़ा बयान, कहा- खतरा नहीं...

    भारत और चीन के रिश्तों में लंबे समय से तनाव का माहौल रहा है, लेकिन अब दोनों देशों के बीच धीरे-धीरे रिश्तों की बर्फ पिघलती नजर आ रही है. हालिया घटनाक्रमों से यह संकेत मिल रहा है कि दोनों एशियाई महाशक्तियां अब टकराव की जगह सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं.

    China Foreign Minister wang yi india visit says we are not india enemy
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    भारत और चीन के रिश्तों में लंबे समय से तनाव का माहौल रहा है, लेकिन अब दोनों देशों के बीच धीरे-धीरे रिश्तों की बर्फ पिघलती नजर आ रही है. हालिया घटनाक्रमों से यह संकेत मिल रहा है कि दोनों एशियाई महाशक्तियां अब टकराव की जगह सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं.

    चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के बाद जो संकेत मिले हैं, वे इस ओर इशारा कर रहे हैं कि बीजिंग अब नई सोच के साथ संबंधों को परिभाषित करना चाहता है. खास बात यह है कि यह बदलता रुख अमेरिका को सबसे ज़्यादा खटक रहा है.

    वांग यी का संदेश: दुश्मन नहीं, साझेदार बनें भारत-चीन

    भारत दौरे के दौरान वांग यी ने रिश्तों को एक नई दिशा देने की बात कही. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब भारत और चीन को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि अवसर और सहयोग के रूप में देखना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में जब एकतरफा दबाव और धौंस की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब भारत और चीन जैसे देशों की भूमिका और भी अहम हो जाती है. बिना अमेरिका का नाम लिए उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि बाहरी ताकतें एशियाई देशों को आपस में उलझाकर अपने हित साधने की कोशिश करती हैं, लेकिन अब भारत-चीन को मिलकर एक जिम्मेदार नेतृत्व दिखाना होगा.

    जयशंकर से मुलाकात और आपसी समझ की दिशा

    चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, वांग यी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच जो चर्चा हुई, वह सकारात्मक दिशा में एक कदम है. बयान में साफ तौर पर कहा गया कि मौजूदा दौर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक व्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में भारत और चीन जैसे उभरते देशों को न सिर्फ अपनी भूमिका गंभीरता से निभानी होगी, बल्कि विकासशील देशों के बीच एकता का उदाहरण भी पेश करना होगा.

    सीमाई इलाकों में शांति और कैलाश यात्रा का फिर से आरंभ

    रिश्तों में यह नई गर्माहट केवल बयानों तक सीमित नहीं है, इसका असर ज़मीनी स्तर पर भी दिखाई देने लगा है. सीमाई क्षेत्रों में जहां पहले तनाव की स्थिति बनी रहती थी, अब वहां शांति और स्थिरता का माहौल देखने को मिल रहा है. साथ ही, भारतीय श्रद्धालुओं की कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होना इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच विश्वास धीरे-धीरे बहाल हो रहा है.

    अमेरिका की चिंता: भारत-चीन की निकटता से बिगड़ सकता है समीकरण

    भारत और चीन के बीच बढ़ती समझदारी से सबसे ज़्यादा बेचैनी अमेरिका में देखी जा रही है. रूस से व्यापार को लेकर अमेरिका पहले ही भारत और चीन पर दबाव बना चुका है. अब जब दोनों देश आपसी मतभेदों को किनारे रखकर साझा हितों की बात कर रहे हैं, तो वाशिंगटन की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है.

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