चीन-पाकिस्तान का हाल बेहाल! सीमा पर तैनात होगा 'अनंत शस्त्र', 30,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी

    Anant Shastra Missile: भारतीय सेना ने अपनी हवाई सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाने के लिए एक अहम फैसला लिया है. पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर बढ़ते हवाई खतरों से निपटने के लिए सेना ने 'अनंत शस्त्र' नामक स्वदेशी विकसित सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के 5 से 6 रेजिमेंट खरीदने का टेंडर जारी किया है.

    China and Pakistan Surface-to-air missile system Ananta Shastra will be deployed on the border
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    Anant Shastra Missile: भारतीय सेना ने अपनी हवाई सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाने के लिए एक अहम फैसला लिया है. पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर बढ़ते हवाई खतरों से निपटने के लिए सेना ने 'अनंत शस्त्र' नामक स्वदेशी विकसित सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के 5 से 6 रेजिमेंट खरीदने का टेंडर जारी किया है. यह अत्याधुनिक रक्षा तकनीक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाई गई है और इसकी कुल लागत करीब 30,000 करोड़ रुपये आंकी गई है.

    2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को प्रभावी ढंग से रोककर अपनी दक्षता साबित की है. चार दिनों तक चले इस संघर्ष में पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का उपयोग किया था, लेकिन भारतीय सेना की एयर डिफेंस यूनिट्स ने L-70 और Zu-23 गन के साथ-साथ आकाश और MR-SAM जैसे सिस्टम से दुश्मन के ड्रोन और अन्य हवाई हथियारों को बेअसर कर दिया.

    'अनंत शस्त्र' की तकनीकी खूबियां

    यह नया मिसाइल सिस्टम बेहद मोबाइल और तेजी से काम करने वाला है. चलते-फिरते यह टारगेट की पहचान कर सकता है और छोटे से छोटे अवसर पर मिसाइल दाग सकता है. इसकी मारक क्षमता करीब 30 किलोमीटर तक है, जो MR-SAM और आकाश जैसे सिस्टम की पूर्ति करता है. यह प्रणाली दिन-रात और विभिन्न मौसम परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से काम कर सकती है और छोटे ड्रोन से लेकर बड़े लड़ाकू विमानों तक को निशाना बना सकती है.

    सीमाओं पर सुरक्षा का नया अध्याय

    'अनंत शस्त्र' सिस्टम को पश्चिमी सीमाओं (पाकिस्तान) और उत्तरी सीमाओं (चीन) पर तैनात किया जाएगा, जिससे भारतीय सीमा क्षेत्र की हवाई सुरक्षा मजबूत होगी. भारतीय वायुसेना भी पहले से ही स्पाइडर, सुदर्शन S-400 जैसे उन्नत प्रणालियों के साथ काम कर रही है, और अब यह नया सिस्टम इन प्रयासों को और मजबूत करेगा. भारतीय सेना की यह पहल न केवल देश की हवाई सुरक्षा को मजबूती देगी, बल्कि स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगी.

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