अमेरिका की राजनीति में सक्रिय और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले दक्षिणपंथी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है. यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गोली मारे गए किर्क के कथित हत्यारे टाइलर रॉबिन्सन को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह गिरफ्तारी उसके ही परिवार के सहयोग से संभव हो सकी, जिसने आरोपी के आत्मस्वीकृति की जानकारी अधिकारियों को दी.
31 वर्षीय चार्ली किर्क एक सवाल-जवाब सत्र में हिस्सा ले रहे थे जब अचानक मंच पर ही गोलीबारी हुई. गोली सीधे उनकी गर्दन पर लगी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. घटना के वक्त यूनिवर्सिटी परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पहले से ही सवाल खड़े किए जा रहे थे.
पहले से दी गई थी हत्या की चेतावनी
इस दुखद वारदात को और गंभीर बना देता है वह सावधान करने वाला अलर्ट, जिसे कार्यक्रम से पहले नजरअंदाज कर दिया गया था. क्रिस हरजोग, जो कि बॉडीगार्ड ग्रुप ऑफ बेवरली हिल्स के प्रमुख हैं, उन्होंने साफ तौर पर किर्क को चेतावनी दी थी कि यदि सुरक्षा में कोई चूक रही तो उनकी हत्या “100% तय” है. हरजोग ने बताया कि 6 मार्च को कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में चार्ली से हुई मुलाकात में उन्होंने साफ तौर पर कहा था: आपकी सुरक्षा बेहद कमजोर है, और अगर सही इंतजाम नहीं किए गए, तो अगला कार्यक्रम आपकी जान ले सकता है.
बुलेटप्रूफ ग्लास और मेटल डिटेक्टर की सलाह को नहीं माना
हरजोग ने दावा किया कि उन्होंने किर्क को बुलेटप्रूफ ग्लास लगाने और मेटल डिटेक्टर जांच की सिफारिश की थी, ताकि किसी भी हमले को रोका जा सके. उन्होंने यहां तक कहा कि अगर कोई स्नाइपर हमला करता है तो केवल एक बुलेटप्रूफ बैरियर ही उनकी जान बचा सकता है. हालांकि, उनकी इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया गया, और परिणामस्वरूप, भविष्यवाणी सच साबित हो गई.यह एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण पल है, जब आप सच कहना चाहते हैं, लेकिन वो सुनने वाला चला जाता है.
हत्या का मकसद अब भी रहस्य
टाइलर रॉबिन्सन की गिरफ्तारी के बावजूद अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उसने यह कदम क्यों उठाया. हत्या का मोटिव अस्पष्ट है, और जांच एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही हैं कि क्या यह राजनीतिक साजिश थी, निजी दुश्मनी या कोई मानसिक असंतुलन.
क्या चूकी सुरक्षा एजेंसियां?
घटना के बाद एक बार फिर अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ और सार्वजनिक कार्यक्रमों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं. क्या हाई-प्रोफाइल पब्लिक फिगर्स के लिए जरूरी सुरक्षा मानकों को नज़रअंदाज किया जा रहा है? क्या चेतावनियों को तब तक हल्के में लिया जाता है जब तक कुछ बुरा न हो जाए?
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