नई दिल्ली: भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में जबरदस्त बदलाव के दौर से गुजरने जा रही है. साल 2030 तक भारत की समुद्री शक्ति एक नए युग में प्रवेश करेगी, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों से लैस स्टील्थ युद्धपोतों और विध्वंसकों का एक विशाल बेड़ा देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करेगा. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह रणनीतिक बदलाव भारत को एक ब्लू वॉटर नेवी यानी वैश्विक समुद्री ताकत के रूप में स्थापित कर सकता है.
वर्तमान में, नौसेना अपनी आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को अद्यतन करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसकी केंद्र में है- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो अपनी तेज़ रफ्तार, सटीकता और मारक क्षमता के कारण दुनिया की सबसे घातक हथियार प्रणालियों में से एक मानी जाती है.
ब्रह्मोस: भारतीय नौसेना की रीढ़ बनी यह मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल एक संयुक्त भारत-रूस परियोजना है, जिसे जमीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता है- 2.8 मैक की रफ्तार (यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना अधिक) और 300-450 किलोमीटर तक मारक क्षमता.
सिर्फ गति ही नहीं, ब्रह्मोस मिसाइल की 'हिट एंड डिस्ट्रॉय' क्षमता, यानी लक्ष्य को टालने का कोई मौका ना देना, इसे खास बनाती है. यह दुश्मन के रडार में आने से पहले ही लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है.
स्टील्थ फ्रिगेट्स में हो रहा ब्रह्मोस का इस्तेमाल
भारतीय नौसेना के पास पहले से ही कई उन्नत स्टील्थ युद्धपोत हैं, जिनमें ब्रह्मोस मिसाइलों को एकीकृत किया जा चुका है. हाल ही में लॉन्च किए गए दो अत्याधुनिक फ्रिगेट- आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी इन सुपरसोनिक मिसाइलों से लैस हैं.
वर्तमान स्थिति:
भविष्य की योजना:
इन सभी फ्रिगेट्स को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है ताकि वे रडार से बचते हुए, समुद्र की सतह से मिसाइलें लॉन्च कर सकें.
13 विध्वंसक युद्धपोतों की घातक क्षमता
भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 13 विध्वंसक (Destroyers) हैं, जिनकी आक्रामक क्षमता भी अब ब्रह्मोस मिसाइलों से बढ़ाई जा रही है.
श्रेणियों के अनुसार विभाजन:
इन विध्वंसकों में से नए पोतों में 16 मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जबकि पुराने प्लेटफॉर्म 8 मिसाइलें ले जाने में सक्षम हैं.
2030 तक 300 ब्रह्मोस की मारक क्षमता
यदि नौसेना के सभी स्टील्थ फ्रिगेट्स और विध्वंसकों की मिसाइल क्षमता को जोड़ा जाए, तो भारत के पास 2030 तक एक समय में 300 से ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात करने की शक्ति होगी.
इस सामूहिक क्षमता का महत्व:
तकनीकी और सामरिक लाभ
ब्रह्मोस की सुपरसोनिक गति उसे इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल बनाती है. इसके अलावा:
ऑपरेशन सिंदूर ने साबित की विश्वसनीयता
इसी साल 'ऑपरेशन सिंदूर' में ब्रह्मोस ने सटीकता, प्रभाव और विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है. यही कारण है कि अब इसे थल सेना, वायु सेना और नौसेना तीनों अंगों में व्यापक रूप से शामिल किया जा रहा है.
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