ट्रंप करते रहे कॉल, लेकिन पीएम मोदी ने नहीं उठाया... जर्मनी के अखबार ने लिखा- भारत झुकेगा नहीं!

    हाल के वर्षों में वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर कई अहम टकराव देखने को मिले हैं. विशेष रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में यह स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है.

    Trump kept calling but PM Modi did not pick up
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    हाल के वर्षों में वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर कई अहम टकराव देखने को मिले हैं. विशेष रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में यह स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है. ट्रंप प्रशासन ने "अमेरिका फर्स्ट" नीति को आगे बढ़ाते हुए दुनिया भर के देशों पर नए और कठोर आयात शुल्क लगाए. इनमें चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ जैसे बड़े साझेदार भी शामिल थे.

    इन तमाम देशों ने या तो अमेरिका के साथ कोई समझौता किया या आंशिक रूप से झुकने का रास्ता चुना. लेकिन भारत ने इस दबाव में आने से साफ इनकार कर दिया. भारत के रुख ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा, और अब जर्मनी के एक प्रमुख समाचार पत्र फ्रैंकफर्टर आलगेमाइने साइटुंग (FAZ) की रिपोर्ट ने इस प्रकरण को और रोचक बना दिया है.

    "ट्रंप ने किया कॉल, मोदी ने नहीं उठाया"

    FAZ की रिपोर्ट का शीर्षक ही अपने आप में काफी कुछ कहता है- "Trump calls, but Modi doesn’t answer". रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जब भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया, तो अमेरिकी पक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की कई कोशिशें कीं. लेकिन पीएम मोदी ने इन कॉल्स का जवाब नहीं दिया और न ही किसी दबाव में आने का संकेत दिया.

    यह कदम सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं था, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति और रणनीतिक सोच का प्रतीक बन गया.

    भारत ने अपनाया अलग रास्ता

    FAZ के मुताबिक, अमेरिका की दबाव की रणनीति अन्य देशों पर सफल रही, लेकिन भारत के साथ यह काम नहीं आई. मोदी सरकार ने न तो आयात शुल्क में ढील दी और न ही अमेरिका के व्यापारिक रियायतों की मांग को स्वीकार किया. इसके बजाय भारत ने घरेलू हितों को सर्वोपरि रखते हुए आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी.

    भारत का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह अब पुरानी सोच से बाहर निकल चुका है, जहाँ उभरती अर्थव्यवस्थाएँ विकसित देशों के सामने झुक जाया करती थीं.

    ट्रंप की कूटनीति और भारत की प्रतिक्रिया

    ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका की विदेश नीति काफी आक्रामक हो गई थी. वे बातचीत से पहले धमकी देने और दबाव बनाने की रणनीति अपनाते थे. लेकिन भारत ने इस बार उनकी यह रणनीति नाकाम कर दी. मोदी सरकार ने न केवल अमेरिका से बराबरी का व्यवहार मांगा, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत अब वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रख सकता है.

    FAZ के अनुसार, भारत का यह दृष्टिकोण यह भी दर्शाता है कि दक्षिण एशिया में उसकी राजनीतिक और कूटनीतिक स्थिति पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुकी है.

    क्यों नहीं झुका भारत?

    भारत की रणनीति के पीछे कई अहम कारण हैं:

    आर्थिक आत्मनिर्भरता – मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के ज़रिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में अमेरिका की शर्तों को मानना इन योजनाओं के विपरीत होता.

    राजनीतिक मजबूती – भारत जानता है कि एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए अमेरिका को भारत की ज़रूरत है. ऐसे में वह एकतरफा दबाव को स्वीकार करने के मूड में नहीं था.

    वैश्विक कूटनीति में संतुलन – भारत अब केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता. वह अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस, और अन्य एशियाई देशों के साथ संतुलित साझेदारी की नीति अपना रहा है.

    घरेलू हितों की प्राथमिकता – मोदी सरकार ने किसानों, लघु उद्योगों और स्थानीय उत्पादकों के हितों की अनदेखी नहीं की और उनके समर्थन में खड़ी रही.

    भारत की नई छवि: दबाव में नहीं, बराबरी पर

    FAZ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि भारत का यह आत्मविश्वास वैश्विक राजनीति में एक नई सोच को जन्म देता है. भारत अब खुद को सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं, बल्कि एक सशक्त और निर्णायक देश के रूप में पेश कर रहा है, जो अपने हितों के लिए किसी भी बड़े देश से टकराने का हौसला रखता है.

    यह घटनाक्रम यह दिखाता है कि भारत न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर भी अब विश्व पटल पर एक महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभर रहा है.

    ये भी पढे़ं- ट्रंप की टूटी हेकड़ी! चीन पर लगाए प्रतिबंध लिए वापस, छह लाख छात्रों को मिली राहत