अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने पुराने तेवर में लौट आए हैं. इस बार उन्होंने सीधे BRICS के संस्थापक सदस्य ब्राजील को निशाने पर ले लिया है. 9 जुलाई को ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका, ब्राजील से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाएगा, और ये नया शुल्क 1 अगस्त से लागू होगा. इस कदम ने वैश्विक व्यापार और कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
लेकिन ये फैसला सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि राजनीति और वैचारिक टकराव का नतीजा लगता है. ट्रंप ने यह कार्रवाई ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जाएर बोलसोनारो के खिलाफ चल रहे कथित तख्तापलट मुकदमे के विरोध में की है. ट्रंप ने इसे एक “विच हंट” यानी राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है और इसे "अंतरराष्ट्रीय अपमान" तक कह डाला.
ट्रंप-बोलसोनारो दोस्ती का असर अमेरिका-ब्राजील रिश्तों पर
डोनाल्ड ट्रंप का ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोलसोनारो से पुराना समीकरण किसी से छिपा नहीं. दोनों राष्ट्राध्यक्षों की छवि दक्षिणपंथी, राष्ट्रवादी और एंटी-एस्टैबलिशमेंट नेताओं की रही है, और दोनों के कार्यकालों में अक्सर एक जैसी विचारधारा की झलक देखने को मिली.
अपने लेटर में ट्रंप ने कहा, “मैं बोलसोनारो को अच्छी तरह जानता हूं. उनके साथ काम किया है. दुनिया के कई नेता उनका सम्मान करते थे. जिस तरह से उनके साथ आज बर्ताव किया जा रहा है, वो ब्राजील के लिए नहीं, पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए शर्मनाक है.” ट्रंप के मुताबिक, बोलसोनारो के खिलाफ मुकदमा तथ्यों से ज़्यादा राजनीतिक मकसद से प्रेरित है और इसे बंद किया जाना चाहिए.
व्यापार के बहाने दबाव की रणनीति
ट्रंप के बयान के मुताबिक, यह टैरिफ सिर्फ ब्राजील के लिए नहीं बल्कि दर्जनों अन्य देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को संतुलित करने के प्रयास का हिस्सा है. हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि ब्राजील अब तक उस लिस्ट में शामिल नहीं था, जिन पर उच्च शुल्क लगाने की बात कही गई थी. ऐसे में अचानक ब्राजील को निशाने पर लेना यही दिखाता है कि ट्रंप इसे एक कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं — बोलसोनारो के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई को रोकने का दबाव.
अमेरिका से तीखी कूटनीतिक झड़प
ट्रंप के पहले की आलोचना के बाद ब्राजील ने हाल ही में वॉशिंगटन में अमेरिकी प्रभारी को तलब किया था. यह घटना तब हुई जब ट्रंप ने खुलेआम बोलसोनारो के खिलाफ मुकदमे की निंदा की थी और इसे साज़िश बताया था. अब ट्रंप की तरफ से टैरिफ की घोषणा ने दोनों देशों के बीच तनाव को और हवा दे दी है.
क्या है बोलसोनारो के खिलाफ मामला?
ब्राजील के वर्तमान राष्ट्रपति लुईज़ इनासियो लूला दा सिल्वा की सत्ता संभालने के कुछ समय बाद ही बोलसोनारो पर तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगा. कहा गया कि उन्होंने सेना का समर्थन जुटाने की कोशिश की, ताकि लूला से सत्ता छीन सकें. हालांकि, सेना ने इस योजना में साथ नहीं दिया और कथित षड्यंत्र विफल हो गया. बोलसोनारो ने इन आरोपों से इनकार किया है. अब जब इस मामले पर कानूनी कार्रवाई तेज हो रही है, ट्रंप की नाराज़गी और उनका हस्तक्षेप ब्राजील की न्यायिक संप्रभुता पर दबाव के रूप में देखा जा रहा है.
2024 से पहले अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर मुखर वापसी?
ट्रंप द्वारा विभिन्न देशों को टैरिफ की धमकी देना, लेटर भेजना और ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को फिर से उछालना यह संकेत देता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव 2024 से पहले वह फिर से पुराने आक्रामक फॉर्म में लौटने की कोशिश कर रहे हैं. ब्राजील जैसा बड़ा उभरता हुआ बाजार इस भू-राजनीतिक शतरंज की एक गोटी बन गया है.
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