इस्लामाबादः पिछले कई दशकों से आतंकवाद को रणनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने वाला पाकिस्तान अब उसी जाल में खुद फंसता जा रहा है. बलूचिस्तान के खुजदार में हुए एक भीषण हमले ने यह साबित कर दिया है कि आतंक अब पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है. इस हमले में 32 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए.
यह हमला पाकिस्तान के कराची-क्वेटा राजमार्ग पर स्थित जीरो पॉइंट के पास हुआ, जहां सेना के काफिले को एक विस्फोटक भरी कार (VBIED) से निशाना बनाया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, विस्फोट इतना तेज़ था कि काफिले में शामिल तीन सैन्य वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. इन वाहनों में से एक में कथित रूप से सैन्यकर्मियों के परिवार भी सवार थे.
पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
पहले आतंकी घटनाएं पाकिस्तान के दूरदराज़ इलाकों तक सीमित थीं, लेकिन अब यह आतंक का दायरा बड़े शहरों और मुख्य राजमार्गों तक फैलता जा रहा है, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं.
इस हमले के बाद से पाक अधिकारी इसे एक स्कूल बस पर हमला बताने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जनाक्रोश को नियंत्रित किया जा सके और सुरक्षा चूक की गंभीरता छिपाई जा सके. हालांकि आंतरिक सूत्रों के अनुसार, यह हमला साफ तौर पर सेना के काफिले को निशाना बनाकर किया गया था.
पहले भी हो चुके हैं हमले
यह पहला मौका नहीं है जब इस राजमार्ग को निशाना बनाया गया हो. 21 मई को भी इसी क्वेटा-कराची हाईवे पर आतंकियों ने एक और हमला किया था, जिसमें आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्रों को ले जा रही एक बस पर फायरिंग की गई थी. उस हमले में पांच मासूम बच्चों और ड्राइवर की जान गई थी. लगातार हो रहे इन हमलों ने पाकिस्तान की जनता को दहशत में डाल दिया है. सुरक्षा की विफलता का असर आम नागरिकों की मानसिकता पर साफ दिख रहा है.
आत्मघाती रणनीति बनता आतंक
पाकिस्तान पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि उसने आतंकवाद को रणनीतिक उद्देश्य से इस्तेमाल किया है, खासकर भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ. लेकिन अब वही आतंकवाद पाकिस्तान की संप्रभुता, स्थिरता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है.
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