इस्लामाबाद/क्वेटा — पाकिस्तान में जनरल असीम मुनीर को 'फील्ड मार्शल' बनाए जाने की घोषणा के चंद घंटों बाद ही बलोचिस्तान में बड़ा धमाका हो गया. यह विस्फोट खुजदार ज़िले के ज़ीरो पॉइंट पर हुआ, जहां बलोच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना के एक काफिले को निशाना बनाया. हमले में सेना की एक बस पूरी तरह तबाह हो गई. चश्मदीदों और स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस विस्फोट में कई सैनिकों के मारे जाने और घायल होने की खबर है, हालांकि आधिकारिक आंकड़े अब तक जारी नहीं किए गए हैं.
सेना की बस को बनाया गया निशाना
यह हमला उस वक्त हुआ जब सैन्य काफिला कैंट क्षेत्र से गुजर रहा था. विद्रोहियों ने पहले से घात लगाकर यह हमला किया और दावा किया है कि उन्होंने सेना की गतिविधियों के जवाब में यह कार्रवाई की है. घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और सुरक्षाबलों ने इलाके को सील कर सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है.
मुनीर का प्रमोशन और विद्रोहियों का आक्रोश
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब जनरल असीम मुनीर को पाकिस्तान का दूसरा फील्ड मार्शल बनाया गया है. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की जनता और खासतौर पर बलोच विद्रोही इस फैसले को सेना की विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं. भारत से हाल ही में मिली सैन्य हार और अंदरूनी असंतोष के बावजूद मुनीर का प्रमोशन लोगों के गुस्से को और भड़का रहा है.
धार्मिक राष्ट्रवाद और सैन्य वर्चस्व की ओर झुकाव
विशेषज्ञों का मानना है कि असीम मुनीर का बढ़ता राजनीतिक और धार्मिक वर्चस्व पाकिस्तान में लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है. उनका झुकाव धार्मिक राष्ट्रवाद और कट्टरपंथियों के प्रति नरमी, सेना को सत्ता में और गहरे घुसाने वाला कदम साबित हो सकता है. चीन के साथ उनकी निकटता और आतंकी नेटवर्क से कथित संबंध भी इस असंतोष को हवा दे रहे हैं.
बलोचिस्तान में बढ़ती उथल-पुथल
बलोचिस्तान लंबे समय से विद्रोह और अस्थिरता का केंद्र रहा है. इससे पहले इसी हफ्ते, किला अब्दुल्ला ज़िले के जब्बार बाज़ार में हुए बम धमाके में चार लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे. हमले में बाजार की कई दुकानें और प्रतिष्ठान तबाह हो गए थे. विस्फोट के बाद वहां गोलीबारी भी हुई थी, जिसमें अज्ञात हमलावरों और फ्रंटियर कोर के बीच मुठभेड़ हुई.
कुछ दिन पहले नाल इलाके में भी एक चेकपोस्ट पर हमले में चार 'लेवी' कर्मियों की जान गई थी. ये घटनाएं इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि बलोचिस्तान में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है और अब वह सीधा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहा है.
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