असिमी गोइता बिना चुनाव बने माली के राष्ट्रपति, जानिए वो कौन-सा कानून है जो दुनिया में चर्चा का विषय बन गया

    अफ्रीकी देश माली में सरकार ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए राष्ट्रपति असिमी गोइता के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ा दिया है.

    Asimi Goita became Mali president without election
    असिमी गोइता | Photo: X

    अफ्रीकी देश माली में सरकार ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए राष्ट्रपति असिमी गोइता के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ा दिया है. माली की मंत्रिपरिषद ने बुधवार को एक नए विधेयक को मंजूरी दी, जिसके तहत गोइता को बिना चुनाव के अगले पांच साल तक सत्ता में बने रहने का अधिकार मिल गया है. इसका मतलब है कि गोइता अब 2030 तक माली का नेतृत्व करते रहेंगे. इस फैसले ने माली की सैन्य जुंटा के प्रभुत्व को और मजबूत कर दिया है, और इससे यह भी साफ हो गया है कि गोइता की सत्ता पर पकड़ और भी मजबूत हो चुकी है.

    तख्तापलट के बाद गोइता की सत्ता का विस्तार

    सैन्य अधिकारी असिमी गोइता 2021 के तख्तापलट के बाद से माली के शासन में हैं. शुरुआत में गोइता ने यह वादा किया था कि मार्च 2024 तक चुनाव कराए जाएंगे और सत्ता नागरिकों को सौंप दी जाएगी. लेकिन अब उन्होंने अपनी ही बात से पलटते हुए एक नया कानून पारित कर दिया है, जो उन्हें चुनाव के बिना पांच साल के लिए राष्ट्रपति बनने का अधिकार देता है. इस फैसले के बाद, क्षेत्रीय विशेषज्ञों ने गोइता की तुलना उत्तर कोरिया के किम जोंग उन से करना शुरू कर दिया है, क्योंकि दोनों के नेतृत्व में सत्ता को व्यक्तिगत नियंत्रण में रखने का स्पष्ट संकेत मिलता है.

    "शांति होने तक, जितनी बार जरूरी हो"

    गोइता को राष्ट्रपति बनाने वाला नया कानून कहता है कि "देश में शांति होने तक, जितनी बार जरूरी हो, उतनी बार वह इस पद पर बने रह सकते हैं." इस साल की शुरुआत में एक समिति ने यह सिफारिश की थी कि गोइता को बिना चुनाव के पांच साल के लिए राष्ट्रपति घोषित किया जाए, और उसी सिफारिश के आधार पर यह कानून पारित किया गया. इसके साथ ही, राजनीतिक दलों को भंग करने और नए दल बनाने के नियमों को भी सख्त कर दिया गया है. इस निर्णय के बाद, माली में सभी राजनीतिक दलों को भंग कर दिया गया और सभाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. इन फैसलों के कारण, माली की सत्ता पूरी तरह से गोइता के हाथों में आ गई है, और वह देश के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं.

    माली की संघर्षमुक्त स्थिति

    माली, जो दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, आतंकी गुटों और आपराधिक संगठनों की हिंसा का शिकार है. गोइता ने सत्ता पर कब्जा करते वक्त देश को इन संकटों से बाहर निकालने का वादा किया था. हालाँकि, उनकी सरकार की बढ़ती तानाशाही और सत्ता पर मजबूत पकड़ के कारण उनके लोकप्रियता में भी फर्क पड़ा है. गोइता ने देश में नागरिक स्वतंत्रताओं को सीमित किया है और विदेशी नीतियों में भी बड़ा बदलाव किया है.

    माली की विदेश नीति में बदलाव

    गोइता के शासन में माली ने पश्चिमी देशों से अपने संबंध तोड़े हैं और अब रूस के साथ सहयोग बढ़ाया है. रूसी भाड़े के सैनिकों को माली में तैनात किया गया है, ताकि वह जिहादी गुटों को नियंत्रित कर सकें. माली में जिहादी गतिविधियों को लेकर गोइता ने सख्त कदम उठाने का वादा किया था, और अब उनकी सरकार इन गुटों से निपटने के लिए रूसी सहयोग का सहारा ले रही है.

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