आसिम मुनीर का अमेरिका में जोरदार स्वागत, इस वीआईपी ट्रीटमेंट से भारत को क्या दिखाना चाह रहे ट्रंप?

    क्या भारत की इस सैन्य कार्रवाई में अमेरिका के हथियारों को नुकसान पहुंचा? और क्या इसी डर से अमेरिका ने पाकिस्तान को फिर से गले लगाने की रणनीति अपनाई है?

    Asim Munir welcome in America Trump
    आसिम मुनीर | Photo: ANI

    भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. लेकिन इस सैन्य कार्रवाई की गूंज सिर्फ इस्लामाबाद तक ही सीमित नहीं रही—वॉशिंगटन तक हलचल मच गई है. एक तरफ भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई अहम एयरबेस को निशाना बनाया, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अपने यहां बुलाने का फैसला लिया.

    ये निमंत्रण ऐसे वक्त में आया है जब जकोबाबाद और सरगोधा जैसे एयरबेस पर भारतीय फाइटर जेट्स के हमले की चर्चा जोरों पर है. बताया जा रहा है कि जकोबाबाद एयरबेस, जहां अमेरिका के F-16 फाइटर जेट्स मौजूद थे, उस पर भी निशाना साधा गया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की इस सैन्य कार्रवाई में अमेरिका के हथियारों को नुकसान पहुंचा? और क्या इसी डर से अमेरिका ने पाकिस्तान को फिर से गले लगाने की रणनीति अपनाई है?

    क्यों इतना जरूरी है पाकिस्तान अमेरिका के लिए?

    अमेरिकी सेंट्रल कमांड के चीफ जनरल माइकल कुरिल्ला ने खुलकर कहा है कि अमेरिका के लिए पाकिस्तान अभी भी अहम है. खासकर इस्लामिक स्टेट-खोरासान (ISIS-K) के खिलाफ कार्रवाई में. यह आतंकी संगठन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में सक्रिय है. अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान की मदद के बिना इस खतरे को खत्म नहीं किया जा सकता. जनरल कुरिल्ला ने ये भी कहा, "हम भारत के साथ हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पाकिस्तान से रिश्ता खत्म कर दें." दरअसल, अमेरिका की रणनीति बिल्कुल साफ है—ना भारत को नाराज करना है और ना पाकिस्तान को खोना.

    ऑपरेशन सिंदूर से हिली अमेरिकी सोच?

    सूत्रों की मानें तो भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया था. इनमें से कुछ पर अमेरिकी तकनीक और F-16 विमान भी मौजूद थे. खबरें हैं कि एक F-16 को डैमेज भी हुआ. ये बात अमेरिका को परेशान कर रही है, क्योंकि इससे उसके हथियारों की छवि पर असर पड़ सकता है और संभावित बाजार भी.

    इस बीच अमेरिका को ये भी महसूस हुआ कि भारत अब सिर्फ कूटनीतिक दबाव नहीं बना रहा, बल्कि सैन्य कार्रवाई के रास्ते पर भी चल पड़ा है. ऐसे में अगर अमेरिका चुप बैठा रहा, तो दोनों देश—भारत और पाकिस्तान—उस पर भरोसा खो सकते हैं.

    अमेरिका और पाकिस्तान की ‘डीलिंग डिप्लोमेसी’

    जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका में US Army Day के बहाने बुलाया जा रहा है, लेकिन असली मकसद कुछ और है. ये बैठकें पेंटागन में होंगी, जहां बात होगी सुरक्षा सहयोग, F-16 की स्थिति, और भविष्य की शर्तों पर. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका, पाकिस्तान से कुछ बड़े वादे लेना चाहता है—जैसे:

    • तालिबान पर कड़ा रुख
    • आतंकी नेटवर्क पर डेटा साझा करना
    • चीन के साथ रिश्तों में नरमी

    बदले में पाकिस्तान को उम्मीद होगी कि अमेरिका उन्हें नई डील या हथियार सपोर्ट देगा.

    भारत के लिए ये क्यों चिंता की बात है?

    भारत ने अमेरिका को पहले ही कई बार आगाह किया था कि पाकिस्तान को F-16 न दिए जाएं. लेकिन इतिहास गवाह है कि करगिल से लेकर बालाकोट तक, F-16 का इस्तेमाल भारत के खिलाफ ही हुआ. अब जब भारत ने उन एयरबेस को निशाना बनाया, जहां ये जेट खड़े थे, तो अमेरिका के कान खड़े हो गए. ये सिर्फ रक्षा उपकरणों का नुकसान नहीं, अमेरिकी टेक्नोलॉजी पर सवाल भी है.

    ये भी पढ़ेंः ना राज, ना राजा... सोनम की मोहब्बत तो कोई और ही? पति की हत्या के लिए इस्तेमाल किए कई मोहरे