'जबरदस्ती दबाव वाला कदम', अमेरिका के टैरिफ वाले कदम पर भड़का ड्रैगन; दे डाला बड़ा बयान

    अमेरिका की ओर से रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के जवाब में चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से उसके राष्ट्रीय हितों के अनुसार है और किसी भी प्रकार का जबरदस्ती और दबाव उसे अपने फैसलों से पीछे नहीं हटा सकता.

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    अमेरिका की ओर से रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के जवाब में चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से उसके राष्ट्रीय हितों के अनुसार है और किसी भी प्रकार का जबरदस्ती और दबाव उसे अपने फैसलों से पीछे नहीं हटा सकता.

    चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी करते हुए कहा, "टैरिफ और प्रतिबंधों की राजनीति से कोई समाधान नहीं निकलता. हम अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की हर स्थिति में रक्षा करेंगे."

    अमेरिका के बयानों पर चीन का सख्त रुख

    यह प्रतिक्रिया तब आई जब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने रूस और ईरान से तेल खरीद तथा रूस को दोहरे उपयोग वाली तकनीकी वस्तुओं की बिक्री पर चीन को चेतावनी दी. स्टॉकहोम में संपन्न अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में बेसेंट ने कहा था कि यदि चीन ने प्रतिबंधित तेल की खरीद जारी रखी, तो 500% तक टैरिफ लगाने का कानून अमेरिकी कांग्रेस के पटल पर है. बेसेंट ने यह भी आरोप लगाया कि चीन ने रूस को 15 अरब डॉलर मूल्य की डुअल-यूज़ तकनीकी सामग्री बेचकर यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष समर्थन दिया है. उन्होंने अमेरिका के सहयोगी देशों से भी रूस के ऊर्जा राजस्व को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने का आह्वान किया.

    चीन की नीति में कोई बदलाव नहीं

    चीन के वरिष्ठ राजनयिक और विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में अमेरिका-चीन व्यापार परिषद के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में कहा कि चीन-अमेरिका संबंध आज के वैश्विक परिदृश्य से अछूते नहीं हैं, लेकिन चीन की नीति में निरंतरता और स्थायित्व कायम है. वांग ने कहा, "दुनिया परिवर्तन और अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. ऐसी स्थिति में चीन और अमेरिका को संवाद और सहयोग के लिए और अधिक रास्ते खोलने चाहिए." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और परस्पर लाभकारी सहयोग ही दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ा सकते हैं.

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