'चीन का मकसद 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने का है, जिसका असर...' शांगरी-ला डायलॉग में बोला अमेरिका

    अमेरिका ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग के दौरान चीन पर ताइवान और एशिया में आक्रामक रणनीति अपनाने का आरोप लगाया.

    America said- Chinas aim is to capture Taiwan by 2027
    पीट हेगसेथ/Photo- Social Media

    सिंगापुर: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर तीखा संवाद देखने को मिला, जब अमेरिका ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग के दौरान चीन पर ताइवान और एशिया में आक्रामक रणनीति अपनाने का आरोप लगाया.

    2027 तक ताइवान पर कब्जे की योजना संभव

    अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि चीन की गतिविधियाँ — जिनमें ताइवान के आसपास बढ़ता सैन्य दबाव, दक्षिण चीन सागर में अवैध कब्जा, और साइबर हमलों की घटनाएं शामिल हैं — एशिया में स्थायित्व के लिए एक वास्तविक खतरा बन रही हैं.

    हेगसेथ ने दावा किया कि अमेरिकी खुफिया जानकारी के अनुसार चीन वर्ष 2027 तक ताइवान पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि चीन ने बलपूर्वक ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की, तो इसका असर केवल एशिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे वैश्विक संतुलन को प्रभावित कर सकता है.

    हम यहां स्थायी उपस्थिति के लिए हैं- हेगसेथ

    हेगसेथ ने अमेरिका की इंडो-पैसिफिक प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि अमेरिका न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए मौजूद है, बल्कि स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के लिए दीर्घकालिक भागीदार बना रहेगा.

    उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अपने क्षेत्रीय सहयोगियों – जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत, फिलीपींस और दक्षिण कोरिया – के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके.

    ट्रंप प्रशासन की नीति का बचाव

    रक्षा मंत्री हेगसेथ ने ट्रंप प्रशासन की रणनीति का बचाव करते हुए कहा कि चीन के साथ व्यापार और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर सख्ती से निपटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहते चीन ने ताइवान पर आक्रमण नहीं किया, और वर्तमान प्रशासन का भी उद्देश्य संघर्ष नहीं, बल्कि रोकथाम है.

    इमैनुएल मैक्रों ने उद्घाटन भाषण दिया

    इस बार शांगरी-ला डायलॉग में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उद्घाटन भाषण दिया—पहली बार किसी यूरोपीय राष्ट्राध्यक्ष को यह अवसर प्राप्त हुआ. अपने संबोधन में मैक्रों ने नाम लिए बिना रूस और चीन की आलोचना की और कहा कि कुछ देश समुद्री क्षेत्रों, द्वीपों और संसाधनों पर एकतरफा दावे करके वैश्विक व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं.

    उन्होंने आगाह किया कि यदि रूस को यूक्रेन में आक्रामकता के लिए रोका नहीं गया, तो ताइवान, दक्षिण चीन सागर या फिलीपींस में इसी तरह की कार्रवाइयों का रास्ता खुल सकता है.

    चीन की अनुपस्थिति से बढ़ी अटकलें

    इस रणनीतिक सम्मेलन में चीन की भागीदारी सीमित रही. जहां अन्य देशों के रक्षा मंत्री मौजूद थे, वहीं चीन ने अपने रक्षा मंत्री डोंग जुन को भेजने के बजाय पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल को भेजा. यह 2019 के बाद पहली बार है जब चीन का रक्षा मंत्री इस मंच से अनुपस्थित रहा.

    इस कदम को लेकर विश्लेषकों का मानना है कि यह चीन की सामरिक दूरी और मौन विरोध का संकेत हो सकता है, खासकर जब मंच पर उसकी रणनीति की खुली आलोचना हो रही हो.

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