काबुल/इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगानिस्तान की संवेदनशील डूरंड रेखा एक बार फिर से टकराव का केंद्र बन गई है. हेलमंद प्रांत और बलूचिस्तान के चगई ज़िले के बीच स्थित बहराम चह सीमा चौकी पर हालिया सैन्य झड़पों ने क्षेत्रीय शांति के लिए नई चुनौती पैदा कर दी है.
सीमा निर्माण बना टकराव का कारण
तनाव की शुरुआत तब हुई जब अफगान तालिबान बलों ने कथित तौर पर अपने क्षेत्र में एक नई सीमा चौकी का निर्माण शुरू किया. पाकिस्तान ने इसे पूर्ववर्ती आपसी समझौतों का उल्लंघन मानते हुए विरोध दर्ज कराया और गोलीबारी की. इसके जवाब में तालिबान ने पाकिस्तानी चेकपोस्ट पर मोर्टार दागे, जिसके परिणामस्वरूप चौकी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.
नागरिकों को हटाने के आदेश, अस्पताल अलर्ट पर
बढ़ते संघर्ष के चलते चगई ज़िले में लगभग ढाई लाख नागरिकों को घर खाली करने का आदेश दिया गया है. तालिबान ने भी हेलमंद क्षेत्र में नागरिकों से सीमावर्ती क्षेत्र खाली करने को कहा है. पाकिस्तानी प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया है और अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा है. स्थानीय नागरिक सुरक्षा के लिए बम शेल्टर की तलाश में हैं.
גבול אפגניסטן-פקיסטן: משטר הטליבאן בנה מבנה על הגבול ללא אישור מאסלאמבאד. בתגובה, צבא פקיסטן הפציץ את העמדה, וחילופי אש החלו בין הצדדים 🇵🇰🇦🇫#Pakistan #Afghanistan #Taliban pic.twitter.com/4ipULl2wYY
— Dean Shmuel Elmas (@ElmasDean) May 30, 2025
आत्मघाती दस्ते बनाम टैंकों की तैनाती
झड़प के बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है:
बहराम चह: एक संवेदनशील ज़ोन
बहराम चह न केवल ड्रग तस्करी और अवैध हथियारों की आवाजाही का गलियारा रहा है, बल्कि यह सैन्य दृष्टिकोण से भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस पर नियंत्रण खोना, विशेषकर पाकिस्तान के लिए, सुरक्षा व्यवस्था के लिए गहरी चुनौती बन सकता है.
बलूच विद्रोही संगठन BLA की संलिप्तता
स्थिति को और जटिल बनाने वाला तत्व यह है कि बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने कथित तौर पर तालिबान को समर्थन देने का दावा किया है. रिपोर्टों के अनुसार, BLA ने हाल ही में “ऑपरेशन हीरोफ 2.0” के अंतर्गत 51 स्थानों पर 71 हमले किए, जिनका उद्देश्य पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना था. यदि यह गठजोड़ पुष्टि पाता है, तो यह पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर दोतरफा खतरे का संकेत हो सकता है.
राजनयिक समाधान की आवश्यकता
सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि यह संघर्ष शीघ्र ही कूटनीतिक बातचीत द्वारा नहीं सुलझाया गया, तो यह न केवल पाक-अफगान संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा स्थिरता को भी खतरे में डाल सकता है.
इस टकराव को विशेष रूप से संवेदनशील इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि यह संघर्ष दो ऐसे पक्षों के बीच हो रहा है, जो एक-दूसरे को वैध राजनीतिक इकाइयों के रूप में सार्वजनिक रूप से नहीं स्वीकारते, लेकिन जमीन पर सीमा नियंत्रण और सुरक्षा के लिए संघर्षरत हैं.
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