North Korea ICBM Project: एक बार फिर से प्योंगयांग की गतिविधियों ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को झकझोर दिया है. दक्षिण कोरिया की सरकार और विशेषज्ञों के ताज़ा खुलासे बताते हैं कि नॉर्थ कोरिया अब इसी मुकाम पर है जहाँ उस‑के पास ऐसे ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) बनने की क्षमता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका तक परमाणु वार मिसाइल या हथियारों के साथ मार कर सकती हैं, यदि सब कुछ सफल हो जाए.
प्रमुख खुलासे क्या हैं?
1. चार यूरेनियम समृद्धि फैसिलिटी (Uranium Enrichment Facilities)
- दक्षिण कोरिया के यूनिफिकेशन मंत्री चुंग डोंग‑यंग ने बताया है कि उत्तर कोरिया ने चार अलग‑अलग यूरेनियम समृद्धि (enrichment) फैसिलिटी संचालित कर रखी हैं.
- इनमें योंगब्योन प्लांट (Yongbyon) शामिल है, जो पहले से जाना हुआ नाम है, लेकिन रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा है कि अन्य स्थल गुप्त या कम प्रकट हैं.
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि उत्तर कोरिया के पास हाइली एनेरिच्ड यूरेनियम (weapons‑grade) का स्टॉकपाइल लगभग 2,000 किलोग्राम या उससे अधिक हो सकता है, जो बड़ी संख्या में न्यूक्लियर हथियारों के निर्माण के लिए पर्याप्त है.
2. Hwasong‑19 ICBM और मिसाइल कार्यक्रम की प्रगति
- उत्तर कोरिया ने पिछले वर्ष Hwasong‑19 नामक एक नई ICBM का परीक्षण किया था.
- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जये म्युंग ने हाल ही में कहा है कि यह ICBM अमेरिका को मार करने की क्षमता वाला बनने के अंतिम стадium में है; बुनियादी चुनौती अब वायुमंडल में पुनः प्रवेश (re‑entry technology) की है जो मिसाइल को सुरक्षित तरीके से लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए ज़रूरी है.
- रिपोर्ट्स में यह भी है कि Hwasong‑19 परीक्षण के दौरान मिसाइल ने लगभग 1000 किलोमीटर दूरी तय की और लंबी उड़ान और ऊंचाई हासिल की, लेकिन यह परीक्षण एक “lofted trajectory” पर किया गया, जिसका मतलब है कि यह परीक्षण वास्तविक दूरी या लक्ष्य का नाप करने के स्थितियों से भिन्न हो सकता है.
3. दक्षिण कोरिया का दावा और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ
- दक्षिण कोरिया का तर्क है कि प्योंगयांग इन ICBM प्रौद्योगिकियों और यूरेनियम समृद्धि सुविधाओं के ज़रिए न केवल अपनी रक्षा क्षमता बढ़ा रहा है बल्कि अपनी मिसाइल ताकत को अमेरिका‑मुखी वार सक्षम स्तर पर ले जाना चाहता है.
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यह चिंता जताई जा रही है कि अगर पुनः प्रवेश (re‑entry) की तकनीक सफल हो जाए, तो मिसाइल को लक्ष्य‑परिशुद्धता (guidance), ताप प्रतिरोध और पुनः प्रवेश के दौरान मिसाइल की संरचनात्मक अखंडता जैसे तकनीकी चुनौतियाँ होंगी, लेकिन प्रगति की गति यह संकेत दे रही है कि उत्तर कोरिया इन चुनौतियों पर काम कर रहा है.
क्या सच में अमेरिका को सीधा खतरा है?
- यह कहना अभी ज़्यादा ठोस नहीं है कि उत्तर कोरिया पूरी तरह से तैयार है और उसके पास ऐसी मिसाइल है जो परमाणु वारहेड सहित अमेरिका के किसी भी हिस्से को सही तरीके से मार सकती हो. लेकिन तथ्यों की दिशा इस प्रकार है:
- पुनः प्रवेश (Re‑entry) तकनीक अभी पूरी तरह सिद्ध नहीं हुई. मिसाइल का वायुमंडल से वापस आना, गर्मी, दबाव और संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना ज़रूरी है. यदि पुनः प्रवेश विफल हुआ, तो मिसाइल लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएगी.
- यूरेनियम समृद्धि की सुविधाएँ और हथियार‑ग्रेड सामग्री की उपलब्धता बढ़ रही है, जिससे उत्तर कोरिया के पास युद्ध सामग्री अधिक हो सकती है.
- अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को इस खतरे का एहसास है, और दक्षिण कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे ज़ोरदार तरीके से उठाया है.
पहले किन बिंदुओं पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता और कूटनीति ठप हुई
- 2019 में ट्रंप और किम जोंग‑उन के बीच हुई शिखर बैठकों के दौरान किम ने कुछ प्रस्ताव उठाए थे जैसे कि योंगब्योन प्लांट को बंद करने का प्रस्ताव था, लेकिन इसके बदले अमेरिका से व्यापक प्रतिबंधों को उठाने की मांग की. उस प्रस्ताव को अमेरिका ने स्वीकार नहीं किया.
- तब से बातचीत में ठहराव है, और उत्तर कोरिया ने स्पष्ट कर दिया है कि परमाणु हथियारों को बातचीत की मेज पर रखना नहीं चाहता, जब तक कि अमेरिका “डी‑न्यूक्लियराइजेशन” की मांग न छोड़ दे. यह एक ऐसा शर्त है जिसे अमेरिका स्वीकार नहीं कर रहा.
खतरे क्या हैं और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- रणनीतिक अस्थिरता (Strategic Instability): यदि उत्तर कोरिया के पास अमेरिका तक मार करने वाली परमाणु ICBM हथियार हो जाएँ, तो अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों के लिए रणनीतिक संतुलन बिगड़ सकता है.
- परमाणु अनिवार्यता (Deterrence) की स्थिति: उत्तर कोरिया खुद को एक ऐसा राज्य मानने लगा है जिसे पूरे विश्व को यह दिखाना है कि वह परमाणु शक्ति है, और यह कि उस पर हमले की स्थिति में बदला लेने की क्षमता (deterrent capability) है.
- गुप्त सुविधाएँ और पता‑लगाने में कठिनाई: यूरेनियम समृद्धि सुविधाएँ अक्सर पृथक और गुप्त होती हैं, जिससे उनकी निगरानी और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण मुश्किल हो जाते हैं.
- वास्तविक वारहेड‑प्रवेश (Warhead delivery and re‑entry): मिसाइलों को न सिर्फ उड़ाना है, बल्कि असली परिस्थितियों में परमाणु वारहेड सहित लक्ष्य दर्ज करना है, यह एक बड़ी तकनीकी चुनौती है.
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