ईरान पर अमेरिका का हमला: क्या ट्रंप के पास है दूसरे देश पर हमला करने का संवैधानिक अधिकार? जानिए पूरा मामला

    ट्रंप के मुताबिक, सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से लौट चुके हैं और अब "शांति का समय" है.

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    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    ईरान के परमाणु ठिकानों पर हालिया अमेरिकी हमले ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस सैन्य कार्रवाई की पुष्टि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर की. उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों—फोर्डो, नतांज और इस्फाहान—पर सफलतापूर्वक हमले किए हैं. ट्रंप के मुताबिक, सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से लौट चुके हैं और अब "शांति का समय" है.

    लेकिन, इस कार्रवाई को लेकर अमेरिका के भीतर ही जबरदस्त बहस छिड़ गई है. कई सांसदों और नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या ट्रंप को ऐसा आदेश देने का संवैधानिक अधिकार था? क्या किसी देश पर हमला करने का फैसला सिर्फ राष्ट्रपति का होता है, या इसके लिए कांग्रेस की अनुमति जरूरी है?

    राष्ट्रपति के अधिकार कितने सीमित हैं?

    संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद-II के अनुसार, राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है. इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति युद्ध की स्थिति में त्वरित फैसले ले सकता है, खासकर तब जब देश को तत्काल खतरे का सामना करना पड़े. उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका पर आतंकी हमला हो या दुश्मन देश कोई आक्रामक कदम उठाए, तो राष्ट्रपति बिना कांग्रेस की मंजूरी के भी सीमित सैन्य कार्रवाई कर सकता है.

    लेकिन अगर बात किसी व्यापक या लंबे सैन्य अभियान की हो, तो राष्ट्रपति को कांग्रेस की मंजूरी लेना आवश्यक होता है. 1973 में पारित 'War Powers Act' के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि: राष्ट्रपति सैन्य कार्रवाई शुरू करने के 48 घंटे के भीतर कांग्रेस को सूचित करेगा. अगर कांग्रेस 60 दिनों के भीतर उस अभियान को मंजूरी नहीं देती, तो राष्ट्रपति को वह कार्रवाई बंद करनी होगी.

    ट्रंप के फैसले पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

    ईरान पर हुए हमले की संवैधानिक वैधता को लेकर अमेरिका के वर्मोंट राज्य के सीनेटर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह ट्रंप के इस कदम की आलोचना करते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी देश पर हमला करने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस को है. ट्रंप ने यदि यह हमला बिना कांग्रेस की अनुमति के किया है, तो यह असंवैधानिक है. भीड़ ने भी इस बयान का समर्थन करते हुए ट्रंप के एकतरफा फैसले पर नाराजगी जताई है.

    इतिहास में भी हुए हैं ऐसे फैसले

    डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2020) के दौरान भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. उन्होंने 2020 में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की बगदाद में हत्या का आदेश बिना कांग्रेस की मंजूरी के दिया था. तब भी उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था. ट्रंप पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि वे कांग्रेस को दरकिनार करके फैसले लेते हैं, जो अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरनाक माना जाता है.

    अंतरराष्ट्रीय कानून का भी सवाल

    सिर्फ अमेरिकी संविधान ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून भी इस तरह के हमलों को सीमित करता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, कोई भी देश किसी दूसरे देश पर तब तक हमला नहीं कर सकता जब तक कि वह आत्मरक्षा में न हो या उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति न मिली हो. इस लिहाज से भी ईरान पर यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना माना जा सकता है.

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