कभी जनसंख्या विस्फोट को दुनिया के सामने एक बड़ा संकट माना जाता था, लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. आज दुनिया की कई बड़ी ताकतें जनसंख्या में गिरावट को लेकर चिंता में हैं. बूढ़ी होती आबादी, घटती श्रमशक्ति और अर्थव्यवस्था पर बढ़ता बोझ, ये ऐसे मुद्दे हैं जो अब कई देशों को परेशान कर रहे हैं.
हालत यह है कि सरकारें लोगों से अपील कर रही हैं कि वे बच्चे पैदा करें, लेकिन महंगी जिंदगी और बदलती प्राथमिकताओं के बीच लोग इससे कतराते नजर आ रहे हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही पांच देशों के बारे में जो जनसंख्या की गिरती रफ्तार से जूझ रहे हैं.
1. तुर्किए: 'बच्चे पैदा करो' देश की पुकार
तुर्किए की जन्मदर 1.48 पर आ गई है, जो चिंताजनक है. राष्ट्रपति एर्दोआन ने इसे युद्ध से भी बड़ा संकट बताया है और परिवार को राष्ट्रीय एजेंडा बना दिया है. लेकिन आर्थिक संकट के बीच लोग बच्चे पैदा करने से बच रहे हैं.
2. वियतनाम: दो बच्चों की सीमा अब खत्म
वियतनाम ने दशकों पुरानी नीति को हटाते हुए अब जन्म पर कोई रोक नहीं रखी है. फिर भी जन्मदर गिरकर 1.91 हो गई है. सरकार की चिंता है कि देश बूढ़ा हो रहा है, लेकिन अमीर नहीं बन पा रहा.
3. चीन: जनसंख्या में ऐतिहासिक गिरावट
चीन की आबादी लगातार तीसरे साल घट रही है. 21वीं सदी के अंत तक इसकी जनसंख्या 1.4 अरब से घटकर 80 करोड़ तक आ सकती है. महंगी शिक्षा, जीवनशैली और नौकरी की अनिश्चितता लोगों को परिवार बढ़ाने से रोक रही है.
4. न्यूजीलैंड: महिलाएं बढ़ीं, बच्चे घटे
यहां महिलाओं की संख्या बढ़ी है, फिर भी जन्मदर गिरकर 1.56 तक पहुंच गई है. जनसंख्या बनाए रखने के लिए जरूरी दर 2.1 से ये बहुत नीचे है. साफ है कि बच्चों को पालना अब प्राथमिकता नहीं रहा.
5. उत्तर कोरिया: जानकारी नहीं, पर चिंता ज़रूर है
यह देश आंकड़े सार्वजनिक नहीं करता, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जन्मदर 1.78 है. स्थिति बिगड़ी तो भविष्य में वहां भी श्रमिकों की भारी कमी देखी जा सकती है.
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