इजरायल को ईरान से बचाने में कमजोर हुआ अमेरिका, 25% मिसाइल इंटरसेप्टर हुए खत्म, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    पश्चिम एशिया में भले ही इज़रायल और ईरान के बीच हुआ 12 दिन का युद्ध थम गया हो, लेकिन इस टकराव की सबसे भारी कीमत किसी ने चुकाई है तो वह है- संयुक्त राज्य अमेरिका.

    25% of America missile interceptors were used up in protecting Israel
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    वॉशिंगटन: पश्चिम एशिया में भले ही इज़रायल और ईरान के बीच हुआ 12 दिन का युद्ध थम गया हो, लेकिन इस टकराव की सबसे भारी कीमत किसी ने चुकाई है तो वह है- संयुक्त राज्य अमेरिका. एक ओर उसने अपने सबसे करीबी सहयोगी इज़रायल को ईरानी मिसाइलों से बचाया, वहीं दूसरी ओर इस युद्ध में अपनी सैन्य क्षमताओं का वह हिस्सा भी खो दिया, जो भविष्य की किसी बड़ी जंग में निर्णायक साबित हो सकता था. सीएनएन की रिपोर्ट में सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने इज़रायल की रक्षा के लिए अपने 25% THAAD इंटरसेप्टर मिसाइलों का इस्तेमाल कर डाला है. इसका सीधा अर्थ है- वॉशिंगटन ने फिलहाल अपने मिसाइल भंडार का चौथाई हिस्सा खत्म कर दिया है और नए स्टॉक की भरपाई में 3 से 8 साल लग सकते हैं.

    यह आंकड़ा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही चिंता बढ़ाने वाला भी. क्योंकि यह सवाल अब सामने खड़ा है, अगर इसी दौरान अमेरिका को चीन या रूस जैसे शक्तिशाली दुश्मनों से भिड़ना पड़ा, तो क्या वह उनके एडवांस बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक हथियारों का मुकाबला कर पाएगा?

    क्या है THAAD और कितना अहम है अमेरिका के लिए?

    THAAD यानी Terminal High Altitude Area Defense — यह अमेरिका का सबसे उन्नत और भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे दुश्मन की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट करने के लिए बनाया गया है. अमेरिकी सेना के पास सिर्फ सात THAAD सिस्टम हैं और उनमें से दो को जून के युद्ध में इज़रायल भेजा गया था. युद्ध के दौरान अमेरिका ने ईरान की मिसाइलों को रोकने के लिए 100 से 150 के बीच THAAD इंटरसेप्टर मिसाइलें दागीं.

    अब आप अंदाज़ा लगाइए कि सिर्फ 12 दिन की लड़ाई में अमेरिका ने अपने कुल THAAD स्टॉक का एक चौथाई हिस्सा खर्च कर डाला, और यह उस ईरान के खिलाफ था, जिसे अमेरिका खुद एक ‘क्षेत्रीय चुनौती’ कहता है, वैश्विक महाशक्ति नहीं.

    भविष्य के खतरे: चीन, रूस और दूसरी जंगों की तैयारी?

    अगर ईरान जैसी ताकत के खिलाफ अमेरिका को अपने स्टॉक का 25% झोंकना पड़ा, तो सवाल है कि चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अमेरिका कितनी देर तक टिक पाएगा?

    सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी रक्षा बजट के अनुमान बताते हैं कि अमेरिका ने 2023 में सिर्फ 11 नए THAAD इंटरसेप्टर खरीदे थे और 2024 में 12 और मिलने की उम्मीद है. जबकि 100-150 मिसाइलें सिर्फ एक लड़ाई में खर्च हो चुकी हैं.

    पूर्व सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका को दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना पड़े, पश्चिम एशिया और इंडो-पैसिफिक तो मौजूदा मिसाइल भंडार अपर्याप्त साबित हो सकता है.

    अमेरिकी सेना का बचाव और CIA का दावा

    इस आलोचना के जवाब में पेंटागन के प्रेस सचिव किंग्सले विल्सन ने कहा, "अमेरिकी सेना आज भी दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना है. हमारे पास वह सब कुछ है जो दुनिया में कहीं भी, किसी भी समय, किसी भी मिशन को अंजाम देने के लिए ज़रूरी है. अगर किसी को इसकी पुष्टि चाहिए, तो ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ और ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमारी जवाबी कार्रवाई को देखना चाहिए."

    हालांकि, सीएनएन ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिकी हमले ज़रूर हुए, लेकिन वे निर्णायक नहीं थे. "ईरान की न्यूक्लियर क्षमताओं को कुछ महीनों की देरी जरूर हुई है, लेकिन प्रमुख सुविधाएं अभी भी कार्यशील हैं," सूत्रों ने कहा.

    उधर ट्रंप प्रशासन और सीआईए ने इसका खंडन करते हुए कहा कि अमेरिकी हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "गंभीर नुकसान" पहुंचा है, और कई अहम सुविधाओं को स्थायी तौर पर नष्ट कर दिया गया है.

    ईरान ने क्या किया? कितनी मिसाइलें दागीं?

    इस 12 दिवसीय टकराव में ईरान ने कुल 574 बैलिस्टिक मिसाइलें इज़रायल की ओर दागीं. अमेरिका और इज़रायल की मिलीजुली वायु रक्षा प्रणाली ने इनमें से 86% को रास्ते में ही नष्ट कर दिया, लेकिन 36 मिसाइलें इज़रायल के आबादी वाले इलाकों में गिरने में सफल रहीं, जिससे लगभग 1.8 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ.

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