दुनिया एक बड़े संकट के मुहाने पर खड़ी है, जहां लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में है और ये खतरा कहीं दूर नहीं, बल्कि एक ऐसी नीति की वजह से उभर रहा है जो सीधे इंसानियत पर भारी पड़ सकती है. हाल ही में एक ऐसा अध्ययन सामने आया है जिसने पूरी दुनिया को चेतावनी दी है कि अमेरिकी विदेशी सहायता में कटौती के कारण 1 करोड़ 40 लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है. यह संख्या सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि उन मासूम बच्चों और कमजोर लोगों की दास्तान है, जो भूख, बीमारी और असहायता से जूझ रहे हैं.
छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को खतरा
द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा विदेशी सहायता को कम किए जाने से सबसे अधिक नुकसान गरीब और कमजोर देशों के लोगों को होगा. विशेष रूप से, ये कटौती स्वास्थ्य सेवाओं, पोषण कार्यक्रमों और अन्य जरूरी मददों में भारी कमी ला सकती है. नतीजतन, खासकर छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषण और इलाज के अभाव में जीवन की जंग हार सकते हैं.
अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की संभावना
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता डेविड रसेला ने इस अध्ययन पर कहा है कि इन कटौतियों का असर वैश्विक महामारी या बड़े सशस्त्र संघर्ष जितना खतरनाक होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये मदद सिर्फ दया का काम नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी जरूरी है. विदेशी सहायता में कमी से न केवल स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम प्रभावित होंगे, बल्कि इससे सामाजिक अशांति बढ़ने, लोगों के पलायन होने और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की संभावना भी है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिन देशों की पहले से ही स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा कमजोर है, वहां इस मदद की कमी सबसे ज्यादा जानलेवा साबित होगी. टीकाकरण अभियान ठप हो सकते हैं, स्वच्छ जल और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की पहुंच सीमित हो जाएगी, जिससे जान-माल का नुकसान बढ़ेगा.
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