नई दिल्ली : कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को मोदी सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि जनगणना कराने का उनका कोई इरादा नहीं है, जो 2021 से लंबित है.
उन्होंने कहा कि जनगणना कराने में विफलता न केवल देश की जनसंख्या का सटीक अनुमान लगाने में बाधा उत्पन्न करेगी, बल्कि 12 करोड़ से अधिक नागरिकों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ से वंचित करेगी.
केंद्र सरकार का 2021 से लंबित जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं : सोनिया
राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में बोलते हुए सोनिया ने कहा, "यह स्पष्ट है कि सरकार का 2021 में होने वाली जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है. इससे हमें देश की जनसंख्या, खासकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का नवीनतम अनुमान लगाने से रोका जाएगा. इसका मतलब यह भी है कि हमारे कम से कम 12 करोड़ नागरिक 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित हैं - जिसे अब पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के रूप में फिर से तैयार किया गया है."
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सोनिय गांधी ने वायनाड और अन्य आपदाओं में मारे गए लोगों के लिए जताई संवेदना
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार. सोनिया गांधी ने सीपीपी बैठक में अपने भाषण में वायनाड भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की.
उन्होंने कहा, "सबसे पहले मैं वायनाड में आई भयावह आपदा से पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं. तबाही का पैमाना चौंका देने वाला है. राज्य में हमारे सहयोगियों ने हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए खुद को एकजुट कर लिया है. देश के अन्य हिस्सों में भी भारी बाढ़ आई है और हम प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. प्राकृतिक आपदाओं के अलावा, हमारे लोग कुप्रबंधन के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते रहते हैं. हमारी संवेदनाएं इन पीड़ितों के साथ हैं."
समाजिक, आर्थिक, किसानों, युवाओं से जुड़ी चुनौतियों पर पीएम मोदी को बताया फेल
2024-25 के बजट के बारे में बोलते हुए, सोनिया गांधी ने आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों, खासकर किसानों और युवाओं से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, "देशभर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हो रहे हैं, जबकि सरकार आत्म-भ्रम में है."
उन्होंने कहा, "खासकर किसानों और युवाओं की मांगों को नजरअंदाज किया गया है. कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आवंटन न होने से उन कार्यों के साथ न्याय नहीं किया है जिन्हें पूरा किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य लोगों द्वारा बजट और इसकी तथाकथित उपलब्धियों की बात करने के बावजूद व्यापक निराशा हुई है. केंद्र सरकार, खासकर इसका शीर्ष नेतृत्व, आत्म-भ्रम में है, जबकि देशभर में करोड़ों परिवार बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई से तबाह हो रहे हैं."
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मौजूदा सरकार की शिक्षा प्रणाली को लेकर सोनिया ने की आलोचना
सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तहत शिक्षा प्रणाली की स्थिति की भी आलोचना की और प्रतियोगी परीक्षाओं में कमियों का दावा किया. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों ने कई युवाओं की उम्मीदे कुचल दी हैं और एनसीईआरटी, यूजीसी और यूपीएससी जैसी संस्थाओं की अखंडता को नुकसान पहुंचाया है.
उन्होंने कहा, "पिछले कुछ सालों में शिक्षा को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है. देश को आगे ले जाने के बजाय, पूरी शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण और हेरफेर वाली दिखाया जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं के तरीके से लाखों युवाओं का विश्वास टूट गया है और उनके भविष्य को गहरा झटका लगा है. एनसीईआरटी, यूजीसी और यहां तक कि यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्थाओं का पेशेवर चरित्र और स्वायत्तता लगभग नष्ट हो गई है."
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने को लेकर भी सरकार पर बोला हमला
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकी हमलों से निपटने के सरकार के तरीके की भी आलोचना की और कहा कि ऐसे हमलों के कारण सुरक्षाकर्मियों और बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत मोदी सरकार के इस दावे का मज़ाक उड़ाती है कि राज्य में सब कुछ ठीक है.
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में बेहद परेशान करने वाली खबर है. पिछले कुछ हफ्तों में अकेले जम्मू क्षेत्र में कम से कम ग्यारह आतंकी हमले हुए हैं. घाटी में भी इसी तरह के हमले हुए हैं. सुरक्षाकर्मियों और बड़ी संख्या में नागरिकों की जान गई है. यह मोदी सरकार के उन दावों का मजाक उड़ाता है कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक है. मणिपुर में स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है. प्रधानमंत्री दुनिया भर में यात्रा करते हैं, लेकिन राज्य में जाकर सामान्य स्थिति लाने की पहल करने से लगातार इनकार करते हैं."
चा राज्यों के चुनाव को लेकर हमें आत्मसंतुष्ट और अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए : गांधी
उन्होंने कहा, "कुछ महीनों में चार राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. हमें लोकसभा चुनावों में हमारे लिए पैदा हुई गति और सद्भावना को बनाए रखना चाहिए. हमें आत्मसंतुष्ट और अति-आत्मविश्वासी नहीं बनना चाहिए. 'माहौल' हमारे पक्ष में है, लेकिन हमें उद्देश्य की भावना के साथ एकजुट होकर काम करना होगा. मैं यह कहने की हिम्मत रखती हूं कि अगर हम लोकसभा चुनावों में देखी गए ट्रेंड को दिखाते हुए अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो राष्ट्रीय राजनीति बदल जाएगी."
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