चीन आज से अमेरिकी सामान पर 15% टैरिफ वसूलेगा, भारत पर भी पड़ेगा असर, इससे किसे होगा ज्यादा नुकसान?

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है. चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर नए टैरिफ लागू कर दिए हैं, जो कि अमेरिका द्वारा पहले लगाए गए शुल्कों का जवाब है. आज से चीन में अमेरिकी वस्तुओं पर 15% अतिरिक्त शुल्क वसूला जाएगा.

China will levy 15% tariff on American goods from today India will also be affected who will suffer more loss from this
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग/Photo- ANI

बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है. चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर नए टैरिफ लागू कर दिए हैं, जो कि अमेरिका द्वारा पहले लगाए गए शुल्कों का जवाब है. आज से चीन में अमेरिकी वस्तुओं पर 15% अतिरिक्त शुल्क वसूला जाएगा.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 फरवरी को चीन से आयातित सामानों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे मार्च में बढ़ाकर 20% कर दिया गया. जवाबी कार्रवाई में, चीन ने अमेरिकी कोयला, एलएनजी (LNG) पर 15% और कच्चे तेल, कृषि मशीनरी तथा बड़ी इंजन वाली कारों पर 10% शुल्क लगाने की घोषणा की थी.

चीन को होगा अमेरिका से ज्यादा नुकसान?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ वॉर से चीन को अमेरिका की तुलना में ढाई गुना अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

  • अमेरिका ने 39 लाख करोड़ रुपये के चीनी सामानों पर शुल्क लगाया है, जबकि
  • चीन ने सिर्फ 1.73 लाख करोड़ रुपये के अमेरिकी सामानों को टारगेट किया है.

इस टकराव के कारण, चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है. 2024 की चौथी तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 5.4% थी, जो इस नए शुल्क के प्रभाव से 2025 में घटकर 4.1% तक आ सकती है.

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अगले चार वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 4.77 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, जबकि चीन को 11 लाख करोड़ रुपये तक का घाटा उठाना पड़ सकता है.

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

2017 से 2023 के बीच हुए पिछले टैरिफ युद्ध में भारत को चौथा सबसे बड़ा लाभार्थी माना गया था, क्योंकि अमेरिकी कंपनियों ने चीन की जगह भारत से आयात को प्राथमिकता दी थी.

हालांकि, इस बार स्थिति अलग हो सकती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ के बाद चीन अपने उत्पादों को एशियाई बाजारों में अधिक आक्रामक तरीके से निर्यात कर सकता है.

  • इससे भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय बाजारों में चीनी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है.
  • भारतीय टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव, और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर दबाव बढ़ सकता है.
  • वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बनी रह सकती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है.

अमेरिका के खिलाफ WTO पहुंचा चीन

चीन ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित बताते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज कराई है.

आज से चीन में अमेरिकी चिकन, गेहूं, मक्का और कपास पर उच्च शुल्क लगेगा. जबकि सोयाबीन, पोर्क मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, फल-सब्जियों पर टैरिफ दरें अपेक्षाकृत कम रखी गई हैं.

चीन ने WTO में दावा किया है कि अमेरिका के टैरिफ वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करते हैं.

चीनी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल समय

चीन पहले से ही आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. अमेरिकी टैरिफ से यह संकट और बढ़ सकता है.

2025 के पहले दो महीनों में चीन का निर्यात सिर्फ 2.3% बढ़ा है, जबकि दिसंबर 2024 में यह 10.7% की दर से बढ़ रहा था.

इस गिरावट से संकेत मिलता है कि अमेरिकी टैरिफ का असर चीन के औद्योगिक और निर्यात सेक्टर पर दिखने लगा है.

ट्रंप की "जैसे को तैसा" नीति 2 अप्रैल से लागू

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से अमेरिका भी "टैरिफ के बदले टैरिफ" की नीति अपनाएगा.

  • ट्रंप का कहना है कि जो भी देश अमेरिका पर जितना शुल्क लगाएगा, अमेरिका भी उस पर उतना ही शुल्क लगाएगा.
  • ट्रंप ने इसे 1 अप्रैल से लागू करने की योजना बनाई थी, लेकिन "अप्रैल फूल" का संयोग टालने के लिए इसे एक दिन बाद लागू किया जाएगा.
  • ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अगर कोई विदेशी कंपनी अमेरिका में उत्पाद नहीं बनाएगी, तो उसे भारी टैरिफ चुकाना होगा.

ट्रंप का दावा है कि अमेरिका लंबे समय से अन्य देशों के टैरिफ का शिकार रहा है, अब उनकी बारी है जवाब देने की.

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