म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई. अब तक 1,700 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और अनगिनत लोग मलबे में फंसे हुए हैं. भूकंप के बाद शहर की सड़कों पर शवों की दुर्गंध फैलने लगी है, जबकि लोग अपने परिजनों को खोजने के लिए मलबा हटाने में जुटे हुए हैं.
भूकंप का केंद्र मांडले के पास था, जिसके कारण शहर की कई इमारतें ढह गईं और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हुआ. टूटी सड़कों, गिरे हुए पुलों और संचार के बाधित होने के कारण राहत कार्य में भी रुकावटें आईं. इसके अलावा, म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध ने बचाव अभियानों को और अधिक कठिन बना दिया है.
सड़कों पर बितानी पड़ी रात
स्थानीय लोग बिना भारी उपकरण के अपने हाथों और फावड़ों से मलबा हटाने के प्रयास में हैं. तेज गर्मी के बीच राहत कार्य की गति धीमी है. रविवार को आए 5.1 तीव्रता के झटकों ने लोगों में फिर से दहशत फैला दी, लेकिन थोड़ी देर बाद राहत कार्य को फिर से शुरू किया गया. मांडले के 15 लाख निवासियों में से कई को रात सड़कों पर बितानी पड़ी और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. इस भूकंप ने पड़ोसी देश थाईलैंड को भी प्रभावित किया, जहां कम से कम 17 लोगों की जान गई है.
स्थानीय लोगों को डर है कि लगातार आ रहे झटकों के कारण अस्थिर इमारतें कभी भी गिर सकती हैं. राहत संगठनों के अनुसार, अब तक म्यांमार में 1,644 लोग मारे जा चुके हैं और 3,408 लोग घायल हो चुके हैं. कई इलाकों में अब तक बचाव कार्य नहीं पहुंच सका है, और लोग मलबा हटाने का काम खुद ही कर रहे हैं.
60 बिस्तरों वाला आपातकालीन उपचार केंद्र
विदेशी सहायता म्यांमार पहुंचने लगी है. भारत ने दो सी-17 सैन्य विमान भेजकर राहत सामग्री और 120 सैन्य कर्मियों को भेजा है. ये दल उत्तर मांडले में 60 बिस्तरों वाला आपातकालीन उपचार केंद्र स्थापित करेगा. यांगून, म्यांमार का सबसे बड़ा शहर, अंतरराष्ट्रीय सहायता का प्रमुख केंद्र बन गया है, जहां अन्य देशों से भी मदद पहुंच रही है.
म्यांमार पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक संकटों से जूझ रहा था, और अब यह भूकंप उसके लोगों के लिए और भी कठिनाइयां लेकर आया है. स्थानीय लोगों की मदद के लिए भारत समेत कई देशों की ओर से राहत पहुंचाई जा रही है, लेकिन मलबे में दबे लोगों को निकालने में अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सेवा के पूर्वानुमान के अनुसार, मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है और भूकंप से हुए नुकसान से म्यांमार के वार्षिक आर्थिक उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.
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