Army Operations Name: श्रीनगर के लिडास इलाके में सोमवार को भारतीय सुरक्षाबलों ने एक अहम आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को अंजाम दिया. इस अभियान में तीन आतंकियों को मार गिराया गया. इस सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया है. इससे पहले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन बंदर’ जैसे नामों वाले मिशन चर्चा में रहे हैं. ऐसे नाम जब सामने आते हैं तो न सिर्फ जनमानस में उत्सुकता बढ़ जाती है, बल्कि यह सवाल भी उठता है, आखिर इन सैन्य अभियानों को इतने विशिष्ट और प्रभावशाली नाम कैसे दिए जाते हैं?
नामकरण की प्रक्रिया
भारतीय सेना द्वारा चलाए जाने वाले प्रत्येक बड़े अभियान को एक कोड नेम यानी संक्षिप्त और गोपनीय नाम दिया जाता है. लेकिन ये सिर्फ कोड नेम नहीं होते, इनमें रणनीति, भावना, इतिहास और मनोवैज्ञानिक युद्ध की झलक होती है.
कोई भी ऑपरेशन शुरू होने से पहले उसकी योजना और रणनीति तैयार होती है. इसमें यह तय किया जाता है कि कार्रवाई कहां होगी, किस उद्देश्य से होगी, और इसका टारगेट क्या होगा. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही ऑपरेशन का नाम तय किया जाता है. कई बार ऑपरेशन के नाम में सांस्कृतिक, धार्मिक या ऐतिहासिक तत्व भी शामिल किए जाते हैं ताकि वह आम जनता और सुरक्षा बलों, दोनों के लिए भावनात्मक रूप से प्रभावशाली हो.
नाम जो संदेश बन जाते हैं
'ऑपरेशन सिंदूर' की बात करें तो इसका नाम इसलिए रखा गया था क्योंकि आतंकियों ने उस हमले में महिलाओं के सिंदूर उजाड़े थे. यह नाम देश के हर नागरिक तक एक भावनात्मक संदेश पहुंचाने के लिए चुना गया कि यह कार्रवाई सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन भावनाओं की रक्षा के लिए है, जो भारतीय समाज की जड़ में बसी हैं.
इसी तरह, जब 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई, तो उसका कोड नेम रखा गया ‘ऑपरेशन बंदर’. यह नाम पौराणिक पात्र हनुमान जी की लंका में घुसने की कथा से प्रेरित था. इसका मकसद यह दर्शाना था कि भारतीय सेना ने चुपचाप, तेज़ी से और सटीकता के साथ दुश्मन के घर में घुसकर करारा जवाब दिया.
‘ऑपरेशन महादेव’
अब बात करते हैं ऑपरेशन महादेव की. यह नाम भगवान शिव से प्रेरित है, जो संहार और संरक्षण दोनों के प्रतीक माने जाते हैं. ऐसा नाम आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ताकत से जोड़ता है. यह सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं, बल्कि बुराई के विनाश का प्रतीक बन जाता है.
कौन तय करता है नाम?
हालांकि ज़्यादातर मामलों में ये नाम सेना के शीर्ष अधिकारी या गृह मंत्रालय द्वारा तय किए जाते हैं, लेकिन कुछ विशेष अभियानों में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की सीधी भूमिका भी देखी गई है. उदाहरण के लिए, रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर का नाम खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया था.
सिर्फ नाम नहीं, रणनीतिक हथियार
भारतीय सैन्य अभियानों के ये नाम ना केवल राष्ट्रीय गर्व का विषय बनते हैं, बल्कि यह दुश्मन के मनोबल को तोड़ने के लिए भी एक रणनीतिक हथियार की तरह काम करते हैं. ये नाम उस कहानी को बयां करते हैं, जो सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि मानसिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रणनीति से भी लड़ी जाती है.
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