पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में हुई ट्रेन हाईजैकिंग की घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींच लिया है. इस घटना के बाद बलूच विद्रोहियों ने एक बड़ा दावा किया है, जिसमें उनका कहना है कि बंधक बनाए गए पाकिस्तानी सेना के 214 सैनिकों को मार डाला गया है. इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने बताया था कि ट्रेन हाईजैकिंग में 31 लोग मारे गए हैं, जिनमें 18 सैनिक, 3 रेलवे कर्मचारी और 5 नागरिक शामिल थे.
सैनिकों की मौत का जिम्मेदार पाकिस्तानी सरकार
बलूच विद्रोहियों के अनुसार, उन्होंने पाकिस्तानी सेना को युद्ध बंदियों की अदला-बदली के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार और सेना ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. विद्रोहियों ने आरोप लगाया कि सेना और सरकार ने अडिग रहकर किसी भी समझौते से इनकार कर दिया और इस तरह सैनिकों की जान खतरे में डाली. उनका कहना है कि सरकार की यह ढिठाई और अहंकार ही सैनिकों की मौत का कारण बने हैं.
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि उन्होंने हमेशा अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानूनों का पालन किया, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया, जिसके कारण बंधक सैनिकों की जान चली गई. BLA के अधिकारियों ने यह भी कहा कि सैनिकों की मौत का जिम्मेदार पाकिस्तानी सरकार और सेना को ठहराया गया है.
BLA ने क्या कहा?
इस स्थिति में BLA ने अपने मारे गए लड़ाकों को श्रद्धांजलि दी है. उनका कहना है कि 12 विद्रोही सैनिकों की जान पाकिस्तानी सेना के साथ संघर्ष में चली गई, और वे इन सैनिकों को स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं. विद्रोहियों ने बताया कि बुधवार और गुरुवार की रात को उनके 7 और स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए. इसके अलावा, उन्होंने मजीद ब्रिगेड के 5 फिदायीनों की शहादत का भी जिक्र किया, जिन्होंने अपनी जान कुर्बान करके पाकिस्तानी सेना को कड़ा जवाब दिया.
यह घटना बलूचिस्तान के संघर्ष में एक नया मोड़ साबित हो सकती है, जहां विद्रोहियों ने अपनी शहादत को स्वतंत्रता की ओर बढ़ने का एक कदम और माना है. BLA ने कहा कि इन शहीदों की यादें हमेशा जिंदा रहेंगी, और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
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