ढाका: भारत और बांग्लादेश की नौसेनाओं ने बंगाल की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण संयुक्त अभ्यास और गश्त का आयोजन किया. इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना, संयुक्त अभियानों में तालमेल बढ़ाना और आपसी जानकारी साझा करने की प्रक्रिया को सुचारू बनाना है. इस वर्ष के अभ्यास, जिसे ‘बोंगोसागर 2025’ नाम दिया गया है, में भारतीय नौसेना के आईएनएस रणवीर और बांग्लादेश की नौसेना के बीएनएस अबू उबैदा ने भाग लिया. यह अभ्यास 2019 से निरंतर आयोजित किया जा रहा है और दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
रणनीतिक सहयोग का नया चरण
भारतीय नौसेना के आधिकारिक बयान के अनुसार, यह अभ्यास समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस अभ्यास में सतह से फायरिंग, सामरिक युद्धाभ्यास, समुद्री रसद आपूर्ति और क्रॉस-बोर्डिंग जैसे विभिन्न अभियानों को शामिल किया गया. इससे न केवल दोनों देशों की नौसेनाओं को अपने सामरिक कौशल का परीक्षण करने का अवसर मिला, बल्कि समुद्री चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमताओं में भी सुधार हुआ.
नौसैनिक तत्परता की परीक्षा
इस अभ्यास के दौरान एक विशेष संचार अभ्यास भी आयोजित किया गया, जिससे नौसेनाओं की तत्परता को परखा गया. इसके अतिरिक्त, दोनों देशों की ऑपरेशनल टीमें और कनिष्ठ अधिकारी अपने समुद्री ज्ञान को बढ़ाने और रणनीतिक विचारों को साझा करने का अवसर प्राप्त कर सके. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और बांग्लादेश, भौगोलिक निकटता के कारण, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग से लाभान्वित हो सकते हैं.
बदलते क्षेत्रीय समीकरण
भारत और बांग्लादेश के लिए यह अभ्यास विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में समुद्री सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां बढ़ी हैं. बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तनों और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव के कारण भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं प्रभावित हुई हैं. पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के संबंधों में सुधार के संकेत भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बन गए हैं. ऐसे में भारत के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह अपने निकटतम पड़ोसी बांग्लादेश के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे.
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