पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी ने कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. 59 वर्षीय कार्नी ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जगह ली, जिन्होंने जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी. ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी ने तब तक सत्ता में रहने की योजना बनाई जब तक कि उनका नया नेता नहीं चुना गया. उम्मीद जताई जा रही है कि कार्नी जल्द ही आम चुनाव की घोषणा कर सकते हैं.
इन चुनौतियों से होगा सामना
इस साल के चुनावों में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी की हार की संभावनाएं जताई जा रही थीं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ के जरिए एक आर्थिक संघर्ष की शुरुआत की है और कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की धमकी दी है. इससे राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं, और अब लिबरल पार्टी के लिए चुनावी जीत की उम्मीदें फिर से बढ़ी हैं.
ट्रंप ने कनाडा के इस्पात और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है और अब 2 अप्रैल से कनाडाई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की योजना बनाई है. इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच, कार्नी का उद्देश्य कनाडा को इस ट्रेड वॉर और विलय की धमकियों से निकालकर मजबूत स्थिति में लाना है.
ट्रंप से बातचीत को तैयार
कार्नी ने यह स्पष्ट किया है कि अगर ट्रंप कनाडा की संप्रभुता का सम्मान करते हैं और व्यापार के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाने के लिए तैयार होते हैं, तो वह बातचीत के लिए तैयार हैं. हालांकि, अमेरिकी व्यापार युद्ध और विलय की धमकियों ने कनाडाई लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है. कई लोग अमेरिका में अपने यात्रा योजनाओं को रद्द कर रहे हैं और अमेरिकी सामान से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कनाडाई राष्ट्रवाद में उछाल देखा गया है.
इस बढ़ते राष्ट्रवादी भावना के बीच, लिबरल पार्टी की चुनावी संभावनाएं सुधरी हैं, और जनमत सर्वेक्षणों में भी उनका प्रदर्शन बेहतर हो रहा है. कार्नी, जिन्होंने 2008 में बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में वैश्विक वित्तीय संकट का सामना किया था, और 2013 में ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर के रूप में ब्रेक्सिट के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अब कनाडा को इस नए संकट से उबारने के लिए तैयार हैं.
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