नई दिल्ली: देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की शुरुआत से पहले केंद्र सरकार ने स्टारलिंक कंपनी से कुछ महत्वपूर्ण शर्तें रखी हैं. इनमें सबसे प्रमुख शर्त यह है कि स्टारलिंक को भारत में अपना कंट्रोल सेंटर स्थापित करना होगा, ताकि अगर किसी आपातकालीन स्थिति में संचार सेवाएं बंद करनी पड़ीं, तो उसे तुरंत किया जा सके. इसके साथ ही, सुरक्षा एजेंसियों को कॉल इंटरसेप्शन की अनुमति देना भी अनिवार्य होगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी सामने आई है.
यह शर्तें पहले से ही भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों—जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया (VI)—पर लागू हैं. सरकार की योजना है कि स्टारलिंक को भी इन नियमों के अनुसार अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार किया जाए.
विदेशी कॉल्स के लिए भारत में बनाए जाएंगे गेटवे
केंद्र सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि विदेशों से किए जाने वाले कॉल्स को सीधे स्टारलिंक के सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए भारत भेजा जाएगा, जहां उसे भारत में बने गेटवे से एकत्रित किया जाएगा. इसके बाद, टेलीकॉम नेटवर्क के माध्यम से उसे विदेश भेजा जाएगा. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि संचार सेवाओं का नियंत्रण पूरी तरह से भारतीय शासन के तहत हो.
स्टारलिंक की सैटेलाइट कम्युनिकेशन लाइसेंसिंग अंतिम चरण में
रिपोर्ट के मुताबिक, स्टारलिंक के सैटेलाइट कम्युनिकेशन लाइसेंस की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. इसके तहत, कंपनी भारत में इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए जियो और एयरटेल के साथ साझेदारी करने पर विचार कर रही है. इन समझौतों के जरिए नेटवर्क विस्तार और मार्केटिंग की योजना बनाई जा रही है.
कंट्रोल सेंटर की आवश्यकता क्यों है?
भारत में, खासकर किसी आपातकालीन स्थिति में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर संचार सेवाओं को तुरंत निलंबित करने की आवश्यकता हो सकती है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी आपातकाल में इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाएं तुरंत रोक दी जा सकें, कंट्रोल सेंटर का होना बेहद आवश्यक है. इसमें सैटेलाइट सेवाएं भी शामिल हैं, ताकि सरकार के पास संचार सेवाओं पर तत्काल नियंत्रण हो सके.
जियो और एयरटेल का स्टारलिंक के साथ समझौता
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए जियो और एयरटेल जैसी बड़ी टेलीकॉम कंपनियां स्टारलिंक के साथ साझेदारी कर रही हैं. इन समझौतों के तहत, स्पेसएक्स और एयरटेल मिलकर शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य केंद्रों और दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए कार्य करेंगे. इसके अलावा, एयरटेल के मौजूदा नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में स्टारलिंक की टेक्नोलॉजी को एकीकृत करने पर भी विचार किया जा रहा है, जिससे नेटवर्क की क्षमता और बढ़ेगी.
इस तरह, सरकार और कंपनियों के बीच यह सहयोग देशभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.
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