प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपना जवाब देते हुए विपक्ष पर खूब चुटकी ली. उन्होंने कहा कि एक पीएम हर वक्त 21वीं सदी-21वीं सदी बोला करते थे. उस वक्त टाइम्स ऑफ इंडिया में आर के लक्ष्मण ने एक शानदार कार्टून बनाया था. उसमें एक हवाई जहाज ठेले पर रखा हुआ था और मजदूर ठेले को धक्का मार रहे थे. उस वक्त वो कार्टून मजाक लग रहा था, जो आगे चलकर सच हो गया. ये कटाक्ष था- जमीनी सच्चाई से तब के पीएम कितने कटे हुए थे, इसका वो प्रदर्शन करने वाला कार्टून था. वो 21वीं सदी-21वीं सदी करते थे, लेकिन 20वीं सदी की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाए थे.
'जनता का पैसा, जनता के लिए'
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में एक पीएम हुआ करते थे. उन्होंने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव में 15 पैसा पहुंचता है. उस समय तो पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था. देश ने हमें अवसर दिया. हमने समाधान खोजने का प्रयास किया. हमारा मोटो है जनता का पैसा, जनता के लिए.
पीएम ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है. कुछ नेताओं की नजर जकूजी और स्टाइलिश टावर पर है, लेकिन हमारा फोकस तो हर घर जल पहुंचाने पर है. आजादी के 75 साल बाद देश में 75 फीसदी करीब 16 करोड़ से ज्यादा घरों से पास जल के लिए नल का कनेक्शन नहीं था. हमारी सरकार ने 5 साल में 12 करोड़ परिवारों को घरों में नल से जल देने का काम किया है.
पहले अखबारों की हेडलाइन हुआ करती थी- इतने लाख के घोटाले...
— BJP (@BJP4India) February 4, 2025
10 साल हो गए, घोटाले न होने से देश के लाखों करोड़ रुपये बचे हैं, जो जनता जनार्दन की सेवा में लगे हैं।
हमने जो अलग-अलग कदम उठाए, उनसे लाखों-करोड़ रुपये की बचत हुई, लेकिन उन पैसों का उपयोग हमने 'शीशमहल' बनाने के लिए… pic.twitter.com/dBrJdI4OaA
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग फोटो सेशन कराकर अपना मनोरंजन करते रहते हैं उन्हें संसद में गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी. मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं. समस्या की पहचान करना एक बात है लेकिन अगर जिम्मेवारी है तो समस्या की पहचान करके छोड़ नहीं सकते. उसके समाधान के लिए समर्पित भाव से प्रयास करना पड़ता है.
पीएम मोदी ने कहा कि बारिश के दिनों में कच्ची छत फूस की, प्लास्टिक की चादर वाली छत के नीचे जीवन गुजारना कितना मुश्किल होता है. पल-पल सपने रौंद दिए जाते हैं. ऐसे पल होते हैं. ये हर कोई नहीं समझ सकता है. अबतक गरीबों को चार करोड़ घर मिले हैं. जिसने उस जिंदगी को जिया है, उसे पता होता है कि पक्की छत वाला घर मिले का मतलब क्या होता है. एक महिला जब खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हो जाती है वो या तो सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद कठिनाइयों झेलना क्या होता है, ऐसे लोग समझ नहीं सकते हैं.
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