इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया है, जिसमें 157 यात्रियों को बंधक बनाए जाने का दावा किया गया है. इनमें से कई पाकिस्तानी सैनिक और पंजाब प्रांत के लोग शामिल हैं, जो विभिन्न सरकारी परियोजनाओं में काम कर रहे थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रेन को पहाड़ी इलाके में सुरंग के भीतर रोक दिया गया है. बीएलए ने यह भी दावा किया कि इस हमले में 30 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं.
ग्वादर: 10 साल बाद भी अधूरा सपना
पाकिस्तान और चीन ने ग्वादर को दुबई जैसा शहर बनाने का सपना देखा था. चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत इस बंदरगाह पर भारी निवेश किया गया, लेकिन 10 साल बाद भी ग्वादर बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. यहां न तो साफ पानी उपलब्ध है, न ही स्थायी बिजली व्यवस्था.
हाल ही में पाकिस्तानी सरकार की समीक्षा रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ग्वादर के विकास की गति बहुत धीमी है. CPEC पर चीन का 50 अरब डॉलर से अधिक का निवेश होने के बावजूद ग्वादर का एयरपोर्ट भूतिया बना हुआ है और इस बंदरगाह की बिजली ईरान से खरीदी जाती है. पाकिस्तानी योजना मंत्री ने भी ग्वादर की ऊर्जा समस्या पर नाराजगी जताई है.
ग्वादर में चीन का नेवल बेस: रणनीतिक चाल?
ग्वादर पोर्ट का व्यापारिक विकास भले ही सुस्त हो, लेकिन चीन का असली उद्देश्य सैन्य उपस्थिति बढ़ाना है. माना जा रहा है कि चीन यहां नेवल और आर्मी बेस स्थापित करना चाहता है ताकि वह फारस की खाड़ी में अपना दबदबा बना सके.
फिलहाल, इस क्षेत्र में अमेरिकी सेना का प्रभाव ज्यादा है, लेकिन चीन ग्वादर को सैन्य ठिकाने में बदलकर रणनीतिक लाभ हासिल करना चाहता है. हालांकि, बलूच विद्रोहियों के हमलों के कारण चीन और पाकिस्तान के लिए यह योजना मुश्किल होती जा रही है.
बलूच विद्रोही क्यों ग्वादर के खिलाफ हैं?
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे संपन्न लेकिन सबसे उपेक्षित प्रांत है. यहां तेल, गैस और खनिज संसाधनों की भरमार है, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिलता. पाकिस्तानी सेना हजारों बलूच युवाओं को गिरफ्तार कर चुकी है, जिससे विद्रोह की भावना तेज हो रही है.
BLA और अन्य बलूच संगठनों का मानना है कि चीन और पाकिस्तान उनकी जमीन के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं लेकिन स्थानीय जनता को कोई सुविधा नहीं दी जा रही. इसी कारण से बलूच लड़ाके चीनी नागरिकों और इंजीनियरों पर हमले कर रहे हैं.
ग्वादर: अब तक की स्थिति
CPEC का सपना अधूरा: 10 साल बाद भी ग्वादर में बुनियादी सुविधाओं की कमी.
सैन्य और आर्थिक असफलता: पाकिस्तान और चीन बंदरगाह को पूरी तरह चालू नहीं कर पाए.
विद्रोही हमले बढ़े: बलूचिस्तान में चीन और पाकिस्तान के खिलाफ हिंसा बढ़ी.
चीन की सैन्य महत्वाकांक्षा: ग्वादर को नेवल बेस बनाने की रणनीति.
स्थानीय लोगों में असंतोष: बलूच समुदाय संसाधनों के शोषण से नाराज.
क्या ग्वादर पाकिस्तान का असफल प्रोजेक्ट?
ग्वादर को लेकर चीन और पाकिस्तान के सपने तेजी से बिखरते नजर आ रहे हैं. CPEC के तहत अरबों डॉलर लगाने के बावजूद स्थानीय असंतोष, बुनियादी ढांचे की कमी और सुरक्षा चुनौतियों ने इस परियोजना को मुश्किलों में डाल दिया है.
अब सवाल यह है कि क्या ग्वादर सच में "एशिया का व्यापारिक केंद्र" बन पाएगा, या यह पाकिस्तान और चीन की एक और असफल रणनीति बनकर रह जाएगा?
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