सज-धज कर तैयार बैठे हैं जेलेंस्की, पुतिन कर रहे आनाकानी! क्रेडिटखोर ट्रंप अब क्या करेंगे?

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं और तुर्की जाने को लेकर कोई हिचक नहीं है.

    Zelenskyy ready Putin Trump Russia-Ukraine
    पुतिन और जेलेंस्की | Photo: ANI

    रूस-यूक्रेन युद्धः करीब तीन साल से जारी रूस और यूक्रेन के बीच खूनी संघर्ष ने ना सिर्फ दोनों देशों को आर्थिक और सामाजिक रूप से झकझोर दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है, लेकिन अब एक नई किरण नजर आ रही है—तुर्की के इस्तांबुल में संभावित शांति वार्ता.

    इस वार्ता को लेकर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं, और पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है कि शायद दोनों देश टकराव छोड़कर संवाद की ओर बढ़ना चाहते हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस बार पहल खुद रूस की ओर से आई है, जिसने सीधे वार्ता का प्रस्ताव रखा है.

    पुतिन की उपस्थिति पर सस्पेंस, ज़ेलेंस्की तैयार

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं और तुर्की जाने को लेकर कोई हिचक नहीं है. उन्होंने हाल ही में बयान दिया कि अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बैठक में शामिल नहीं होते, तो इससे साफ होगा कि वे युद्ध समाप्त नहीं करना चाहते.

    हालांकि, पुतिन खुद इस्तांबुल जाएंगे या नहीं, इस पर अभी तक क्रेमलिन की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. एक हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस ने यह जरूर कहा कि कोई उनसे ‘अल्टीमेटम की भाषा’ में बात न करे—यह संकेत है कि रूस अब भी अपनी स्थिति को लेकर सतर्क है.

    डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका अहम

    इस पूरी प्रक्रिया में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने चुनावी अभियान में वादा किया था कि अगर वे सत्ता में लौटे, तो इस युद्ध को खत्म करवा देंगे. सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने व्यक्तिगत तौर पर रूस और यूक्रेन दोनों पक्षों से संवाद किया और ज़ेलेंस्की को इस पहल के लिए राजी किया. वार्ता के दौरान ट्रंप की उपस्थिति की संभावना भी जताई जा रही है, लेकिन अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

    क्या इस बार मिल पाएगा हल?

    रूस-यूक्रेन युद्ध के कई दौर की नाकाम कोशिशों के बाद पहली बार माहौल कुछ सकारात्मक लगता है. यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों और वैश्विक दबाव के चलते रूस को भी अब इस लड़ाई के आर्थिक और कूटनीतिक नुकसान का एहसास हो रहा है. वहीं, यूक्रेन भी इस लंबे संघर्ष से थक चुका है.

    हालांकि, संघर्षविराम के लिए रखे गए प्रस्ताव को रूस ने ठुकरा दिया है, लेकिन सीधी बातचीत के लिए तैयार होना खुद में एक बड़ी बात है. यह संकेत हो सकता है कि दोनों पक्ष अब कूटनीतिक रास्ते तलाशने को मजबूर हो रहे हैं. आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह बहुप्रतीक्षित बैठक एक निर्णायक मोड़ साबित होगी या फिर एक और विफल प्रयास के रूप में इतिहास में दर्ज होगी.

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