नई दिल्लीः पूर्वोत्तर भारत को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के हालिया विवादित बयान पर अब भारत ने कूटनीतिक नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जवाब दिया है. चीन दौरे पर यूनुस ने नॉर्थ-ईस्ट को ‘लैंड लॉक्ड’ क्षेत्र बताकर इसे बांग्लादेश की मेहरबानी पर निर्भर दिखाने की कोशिश की थी. अब भारत सरकार ने ऐसा ठोस कदम उठाया है, जिससे न सिर्फ इस कथन की धार कुंद हो जाएगी, बल्कि नॉर्थ-ईस्ट की भौगोलिक और आर्थिक स्थिति भी बदलेगी.
₹22,864 करोड़ की ग्रीनफील्ड परियोजना को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शिलांग से सिलचर तक ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर और फोर लेन हाईवे को मंजूरी दी गई है. यह परियोजना लगभग 166.80 किलोमीटर लंबी होगी, जिसकी अनुमानित लागत ₹22,864 करोड़ रुपये है. इसे 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है.
यह हाईवे असम और मेघालय के कठिन इलाकों से होकर गुजरेगा — 144.80 किलोमीटर मेघालय में और 22 किलोमीटर असम में. इस प्रोजेक्ट को पूर्वोत्तर का 'एंटर गेट' भी कहा जा रहा है, जो क्षेत्र की लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देगा.
रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
इस कॉरिडोर से न सिर्फ असम-मेघालय के बीच सीधी, तेज़ और सुरक्षित कनेक्टिविटी बनेगी, बल्कि यह सिलचर, गुवाहाटी और शिलांग एयरपोर्ट जैसे प्रमुख टर्मिनलों को भी जोड़ देगा.
साथ ही यह मार्ग सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, जिससे औद्योगिक गतिविधियों को गति मिलेगी. परियोजना का एक अहम मकसद यह भी है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) पर निर्भरता घटाई जाए और बांग्लादेश की समुद्री पहुंच पर निर्भरता को खत्म किया जाए.
समुद्री रास्ते का विकल्प भी तैयार
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के अधिकारियों के अनुसार, अब कोलकाता और विजाग जैसे समुद्री बंदरगाहों से पूर्वोत्तर राज्यों तक प्रत्यक्ष समुद्री लॉजिस्टिक चैनल बनाने पर काम किया जा रहा है. इससे बांग्लादेश के रास्ते की जरूरत नहीं पड़ेगी और मालवाहक ट्रकों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जा सकेगी.
टेक्नोलॉजी से लैस, चुनौतीपूर्ण निर्माण
परियोजना को भू-स्खलन और ढलान वाले इलाकों में स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से बनाया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि भविष्यवाणी करने वाली लेटेस्ट स्लोप स्टेबिलाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल होगा ताकि यातायात में रुकावट न आए.
यह न केवल तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है. सरकार इसे देश की सुरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज़ से भी एक महत्वपूर्ण निवेश मान रही है.
युनुस के बयान पर भारत की ज़मीन से जवाब
अप्रैल में चीन में शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत को 'लैंड लॉक्ड' कहकर बांग्लादेश को इसका एकमात्र समुद्री संरक्षक बताया था. भारत ने तब भी इसका कड़ा जवाब दिया था, लेकिन अब भारत का ज़मीनी जवाब कहीं ज़्यादा ठोस और दूरगामी है.
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