चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर लगातार तेज होता जा रहा है, और अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मुद्दे पर पहली बार खुलकर बयान दिया है. उन्होंने अमेरिका के बढ़ते टैरिफ को "एकतरफा दादागिरी" करार दिया और यूरोप से अपील की है कि वह चीन का साथ देकर इस नाइंसाफी के खिलाफ एकजुट हो.
शुक्रवार को बीजिंग में स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ के साथ मुलाकात के दौरान जिनपिंग ने कहा, "चीन और यूरोप को मिलकर अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए और अमेरिका की मनमानी का विरोध करना चाहिए."
यह बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर 145% तक टैरिफ बढ़ा दिया है. वाइट हाउस के हालिया मेमो के मुताबिक, ये दरें 125% नहीं बल्कि 145% तक पहुंच गई हैं, जिससे ट्रेड वॉर और भड़क गया है.
ट्रंप की नीतियों ने बढ़ाया तनाव
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका ने चीन के खिलाफ टैरिफ में बार-बार बढ़ोतरी की है. शुरुआत में दो बार 10-10% की बढ़ोतरी हुई, फिर 34%, उसके बाद 50% और अब सीधा 145% तक. इसका जवाब चीन ने भी दिया और अमेरिकी सामान पर बराबरी का टैक्स लगाया. ट्रंप की 'लिबरेशन डे' नीति के तहत अमेरिका अब सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि कई देशों पर टैक्स थोप रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ रहा है.
कृषि और नौकरियों पर भी असर
2023 में चीन, अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार था, जहां से अमेरिका तिलहन, अनाज, तेल और गैस जैसे उत्पाद भेजता था, लेकिन इन भारी टैरिफ की वजह से अमेरिकी किसानों और कारोबारियों को बड़ा झटका लग सकता है. 2022 में चीन ने करीब 9 लाख अमेरिकी नौकरियों को सपोर्ट किया था, लेकिन मौजूदा हालात इन नौकरियों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं.
यूरोप की भूमिका हो सकती है निर्णायक
इस पूरे मामले में यूरोप की भूमिका अहम हो सकती है. स्पेन के प्रधानमंत्री सांचेज़ ने भी माना कि चीन के साथ यूरोप का व्यापार घाटा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह तनाव यूरोप-चीन संबंधों में रुकावट नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें मिलकर सहयोग बढ़ाना होगा."
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