आजकल दुनिया में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खूब चर्चा हो रही है. अमेरिका, रूस और चीन ने अपनी पांचवीं पीढ़ी के विमानों को सफलतापूर्वक उड़ाया है, और दूसरे देश भी इस दिशा में काम कर रहे हैं. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दुनिया का पहला लड़ाकू विमान किसने और कब बनाया था. यह विमान कितना शक्तिशाली था और उस वक्त की हवाई युद्ध की तस्वीर को किस तरह बदल दिया था. आइए, हम आपको लेकर चलते हैं इतिहास के एक उस अहम पल में, जब युद्ध के आसमान ने अपनी दिशा बदल ली थी.
नाजी जर्मनी का क्रांतिकारी कदम
द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी सालों में नाजी जर्मनी ने एक ऐसा विमान तैयार किया जो उस समय के सारे विमानो से कहीं ज्यादा उन्नत था. इसका नाम था मेसर्सचिमिट Me 262. इस विमान को इतिहास में दुनिया का पहला लड़ाकू विमान माना जाता है. 1944 में यह विमान युद्ध में उतरा था और इसके साथ ही यह दुनिया का पहला जेट-संचालित लड़ाकू विमान बन गया. इसे कई इतिहासकार आधुनिक हवाई युद्ध की शुरुआत मानते हैं, क्योंकि यह तकनीकी रूप से किसी नए युग का प्रतीक था.
नई तकनीक, नई संभावनाएं
Me 262 ने उस समय के अमेरिकी और ब्रिटिश विमानों को पीछे छोड़ दिया. मित्र देशों के पिस्टन-इंजन वाले विमानों की तुलना में यह विमान काफी तेज था. इसकी गति ने हवा में युद्ध करने का तरीका ही बदल दिया. इस विमान ने पहली बार दुनिया को दिखाया कि तकनीक युद्ध के परिणाम को पल भर में बदल सकती है. इससे यह भी साबित हुआ कि हवा में मुकाबला सिर्फ अच्छे पायलटों से नहीं, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता से भी जीता जा सकता है.
तकनीकी खामियां और सुधार
जाहिर है, कोई भी नई तकनीक बिना खामियों के नहीं होती. Me 262 के पहले परीक्षण में कई खामियां सामने आईं. इसके बावजूद, जर्मन इंजीनियरों ने इसे सुधारने के लिए दिन-रात मेहनत की. नतीजतन, इसके तैनाती में कई सालों की देरी हुई, लेकिन जब यह विमान युद्ध में उतरा, तो इसने अपनी तकनीकी क्षमता और गति से सबको चौंका दिया. और यही विमान भविष्य में बनने वाले रडार-रोधी, सुपरसोनिक, और डेटा-लिंक्ड लड़ाकू विमानों का आधार बन गया.
Me 262 की विशेषताएं
Me 262 के डिजाइन में चार 30 मिमी MK 108 गन लगी हुई थीं. इसके अलावा, इस विमान में 24 R4M रॉकेट्स को ले जाने की क्षमता भी थी. यह विमान लगभग 540 मील प्रति घंटे (870 किमी प्रति घंटा) की गति से उड़ सकता था, जो कि उस समय के सबसे तेज़ विमानों से कहीं ज्यादा था. इसका मुकाबला मित्र देशों के P-51 मस्टैंग से था, जो 100 मील प्रति घंटे धीमा था.
इसके अलावा, Me 262 की सेवा ऊंचाई 37,500 फीट थी, और इसकी चढ़ाई की गति 3,900 फीट प्रति मिनट थी. इन खासियतों के कारण, जर्मन पायलटों ने मित्र देशों के बमवर्षक विमानों को निशाना बनाने में सफलता हासिल की, और किसी प्रतिक्रिया से पहले ही वे वापस लौटने में सक्षम हो गए. इसका मतलब था कि जर्मन वायुसेना के पास एक ऐसी क्षमता थी, जो हवाई युद्ध को पूरी तरह से बदल सकती थी.
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