मध्य पूर्व में लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब एक नई करवट लेने जा रहा है. ईरान के साथ युद्ध खत्म होते ही इजरायल के लिए एक संभावित कूटनीतिक जीत की जमीन तैयार होती नजर आ रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के मुताबिक, खाड़ी के कई मुस्लिम देश अब इजरायल को मान्यता देने की दिशा में गंभीरता से सोच रहे हैं. यह एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जो न सिर्फ इजरायल की विदेश नीति के लिए अहम होगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता को भी प्रभावित करेगा.
अब्राहम समझौते का विस्तार: ट्रंप की प्राथमिकता
साल 2020 में ट्रंप प्रशासन के दौरान शुरू हुआ अब्राहम समझौता एक ऐतिहासिक पहल थी, जिसके तहत संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे देशों ने इजरायल के साथ अपने रिश्तों को सामान्य किया था. अब स्टीव विटकॉफ ने संकेत दिए हैं कि इस समझौते का दायरा और भी बड़ा होने जा रहा है.
सीएनबीसी को दिए एक साक्षात्कार में विटकॉफ ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप का फोकस यही है कि अब्राहम समझौते में और देशों को शामिल किया जाए. हम इस दिशा में विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विदेश विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से मध्य पूर्व में स्थिरता को बल मिलेगा.
कौन होंगे नए साझेदार?
हालांकि विटकॉफ ने उन देशों के नाम उजागर नहीं किए जो अब्राहम समझौते में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनका कहना है कि कुछ ऐसे देश भी इस सूची में शामिल हो सकते हैं, जिनके बारे में पहले कभी सोचा भी नहीं गया था. यह बयान यह संकेत देता है कि आने वाले समय में इजरायल और मुस्लिम दुनिया के रिश्तों में एक बड़ी बदलाव की संभावना है.
ईरान पर भी निगाहें
विटकॉफ ने बातचीत में ईरान को लेकर भी अमेरिका की स्थिति स्पष्ट की. उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका के लिए "रेड लाइन" है. ट्रंप प्रशासन की मंशा है कि तेहरान के साथ एक व्यापक शांति समझौता किया जाए, ताकि क्षेत्रीय अस्थिरता को रोका जा सके.
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