क्या सच में रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत? ट्रंप के दावों पर आया विदेश मंत्रालय का जवाब, जानें क्या कहा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने दावा किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बारे में "भरोसा" दिया है.

    Will India really not buy oil from Russia Trump
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: भारत के रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा तेज हो गई है. इस बार विवाद की वजह बने हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने दावा किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बारे में "भरोसा" दिया है. ट्रंप के इस बयान के तुरंत बाद भारत सरकार की ओर से एक आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसने इस विषय पर भारत की स्थिति को एक बार फिर दोहराया है- भारत की ऊर्जा नीतियां उसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं, और वह कोई भी फैसला बाहरी दबाव में नहीं लेगा.

    भारत की प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय हित सर्वोपरि

    भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 16 अक्टूबर को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान स्पष्ट किया कि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में किसी भी निर्णय को अपने उपभोक्ताओं और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए लेता है. उन्होंने सीधे तौर पर ट्रंप के दावे का खंडन तो नहीं किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि भारत की नीति पूरी तरह से स्वतंत्र और व्यावहारिक जरूरतों पर आधारित है.

    प्रवक्ता ने कहा, "भारत तेल और गैस का एक प्रमुख आयातक देश है. अस्थिर वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है. हम ऊर्जा आपूर्ति के विविधीकरण पर लगातार काम कर रहे हैं, ताकि स्थिर कीमतें और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके."

    इस बयान से यह संकेत साफ हो जाता है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं कर रहा है, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में स्थिरता और विविधता बनाए रखने की अपनी नीति पर कायम है.

    रूस से भारत की तेल खरीद

    रूस, यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूस से काफी मात्रा में कच्चा तेल आयात किया है. रूस, भारत के लिए प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, खासकर इसलिए क्योंकि उसने भारत को डिस्काउंटेड रेट्स (छूट दरों) पर तेल उपलब्ध कराया, जिससे भारत को अपने ऊर्जा आयात बिल को नियंत्रित रखने में मदद मिली.

    वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में रूस से आयातित कच्चे तेल की मात्रा में दस गुना तक की वृद्धि देखी गई थी. भारत के लिए यह एक रणनीतिक निर्णय था, जिससे देश में ईंधन की कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद मिली और मुद्रास्फीति पर दबाव भी कुछ हद तक कम हुआ.

    अमेरिका से भी ऊर्जा सहयोग बढ़ा

    भारत के विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत केवल रूस पर निर्भर नहीं है. अमेरिका के साथ भी भारत का ऊर्जा सहयोग लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका, भारत को एलएनजी (Liquefied Natural Gas), कच्चा तेल और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक सहित कई क्षेत्रों में सहयोग दे रहा है.

    प्रवक्ता ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग पिछले एक दशक में निरंतर मजबूत हुआ है. वर्तमान अमेरिकी प्रशासन ने भी इस दिशा में रुचि दिखाई है, और बातचीत जारी है."

    इससे यह साफ होता है कि भारत एक बैलेंस्ड और डाइवर्सिफाइड ऊर्जा नीति को अपना रहा है, जिसमें रूस, अमेरिका, मिडिल ईस्ट और अन्य देशों के साथ समन्वय शामिल है.

    ट्रंप का विवादित दावा

    डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. ट्रंप पहले भी भारत पर उच्च टैरिफ (50%) लगाने और व्यापार में असंतुलन का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में इस तरह का बयान देना उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

    हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस दावे को सीधे नकारा नहीं गया, लेकिन विदेश मंत्रालय का जवाब यह स्पष्ट करता है कि कोई भी ऊर्जा नीति विदेश नीति या व्यक्तिगत बयानों से निर्देशित नहीं होती, बल्कि भारत के आर्थिक और उपभोक्ता हितों से तय होती है.

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