छुट्टी का बहाना या सत्ता की गुप्त बैठक! अगस्‍त में हर बार बीजिंग से गायब क्‍यों हो जाते हैं शी जिनपिंग?

    हर साल अगस्त आते ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अचानक सार्वजनिक जीवन से दूर हो जाना अब एक तरह की परंपरा बन चुका है.

    Why does Xi Jinping disappear from Beijing every August
    शी जिनपिंग | Photo: ANI

    हर साल अगस्त आते ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अचानक सार्वजनिक जीवन से दूर हो जाना अब एक तरह की परंपरा बन चुका है. इस साल भी कुछ ऐसा ही होने वाला है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये वाकई सिर्फ एक समर रिट्रीट है या फिर किसी गहरे राजनीतिक घटनाक्रम की आहट?

    बेदाईहे: छुट्टी का बहाना या सत्ता की गुप्त बैठक?

    बीजिंग से करीब तीन घंटे की दूरी पर बसा बेदाईहे एक खूबसूरत समुद्री रिसॉर्ट है. लेकिन ये जगह सिर्फ गर्मी की छुट्टियों का ठिकाना नहीं है. दशकों से यहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता गुप्त बैठकों के लिए जुटते हैं. माओ के दौर से ही यह एक परंपरा रही है — जहां पार्टी की दिशा तय होती है, फैसले लिए जाते हैं, और अक्सर वही बदलाव होते हैं जिनके बारे में बाहर की दुनिया को कुछ महीनों बाद पता चलता है.

    तो इस बार क्या बदला है?

    • 2025 का साल चीन के लिए अब तक काफी चुनौतीपूर्ण रहा है.
    • अर्थव्यवस्था दबाव में है
    • युवा बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है
    • रियल एस्टेट सेक्टर डगमगा चुका है
    • वैश्विक मंच पर चीन के रिश्ते अमेरिका, ताइवान और यूरोपीय देशों के साथ तनाव में हैं

    और यही नहीं — शी जिनपिंग के सबसे करीबी सहयोगी भी एक-एक कर गायब या बर्खास्त किए जा रहे हैं. पिछले साल विदेश मंत्री किन गैंग और रक्षा मंत्री ली शांगफु को अचानक हटा दिया गया था. उनकी कोई ठोस सार्वजनिक सफाई तक नहीं दी गई.

    शी की चुप्पी ज़्यादा बोल रही है

    ऐसे में जब शी अगस्त में फिर अचानक ‘गायब’ होते हैं, तो ये बस एक वार्षिक छुट्टी जैसा नहीं लगता. द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जो शी कभी एक अडिग और अपराजेय नेता की तरह दिखते थे, वो अब अंदरूनी दबावों से जूझते दिखाई दे रहे हैं. उनका लगातार सार्वजनिक मंचों से दूर रहना, और फिर शीर्ष मंत्रियों का एक-एक कर हट जाना, पार्टी के भीतर किसी गहरे असंतुलन की ओर इशारा करता है.

    क्या कोई पलटवार होने वाला है?

    2023 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. अगस्त में शी मंच से गायब हुए, और फिर कुछ ही हफ्तों में बड़े पदों पर बैठे नेता हटा दिए गए. इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा सकता है.

    तो क्या ये ‘रिट्रीट’ असल में कोई सख्त निर्णय लेने की तैयारी है?

    या फिर शी अपनी ही बनाई सत्ता संरचना को संभालने की कोशिश में लगे हैं? इन सवालों का जवाब अगले कुछ हफ्तों में मिल सकता है, लेकिन जो बात साफ़ है — शी की सत्ता अब पहले जितनी निष्कंटक नहीं रही.

    दुनिया क्यों ध्यान दे रही है?

    शी जिनपिंग की पकड़ सिर्फ चीन के अंदर की बात नहीं है.

    • अमेरिका-चीन के रिश्ते
    • ताइवान को लेकर तनाव
    • रूस के साथ बढ़ती दोस्ती
    • दक्षिण चीन सागर में सैन्य मौजूदगी

    इन सभी मोर्चों पर चीन का रुख काफी हद तक शी के फैसलों से तय होता है. ऐसे में अगर उनकी स्थिति डगमगाती है, तो इसका असर पूरे वैश्विक संतुलन पर पड़ सकता है.

    ये भी पढ़ेंः चीन का ‘पानी का महाकाय किला’, फिर यूरोप के देश अपने बांध क्यों तोड़ रहे? जानिए पूरा मामला