Pharmaceutical and Steel Industry India: 27 अगस्त, 2025 से अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ लागू हो गए हैं. यह फैसला वैश्विक व्यापार व्यवस्था में एक नए तनाव की शुरुआत मानी जा रही है.
जहां एक ओर इससे भारत के कपड़ा, रत्न और आभूषण जैसे लेबर-इंटेंसिव सेक्टर पर दबाव बढ़ेगा, वहीं दवा, स्मार्टफोन और स्टील जैसे क्षेत्रों को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है.
कौन से सेक्टर होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित?
कपड़ा उद्योग: भारत का प्रमुख निर्यात क्षेत्र, जो अमेरिका के बड़े उपभोक्ता बाजार पर निर्भर है.
रत्न और आभूषण: 28.5 अरब डॉलर के वार्षिक निर्यात में से करीब एक-तिहाई सिर्फ अमेरिका को जाता है. अब, इन पर 25% से बढ़ाकर 50% तक का टैरिफ लागू कर दिया गया है, जो इन सेक्टरों को प्रतिस्पर्धा में कमजोर बना सकता है.
दवा उद्योग को अमेरिका से मिली राहत
एकमात्र राहत भरी खबर यह है कि अमेरिका ने भारतीय दवा उत्पादों को टैरिफ से छूट दी है. अमेरिका के कुल दवा आयात में भारत की हिस्सेदारी 6% है. वहीं, भारत अपने 40% फार्मा निर्यात अमेरिका को करता है. इससे दवा उद्योग फिलहाल टैरिफ के झटकों से बचा रहेगा, जिससे इस सेक्टर की स्थिरता कायम रह सकती है.
'टैरिफ से दोनों देशों को नुकसान'
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ से अमेरिका की GDP पर 40-50 बेसिस प्वाइंट्स का असर पड़ सकता है. भारत का 45 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है. बदतर स्थिति में भारत का व्यापार अधिशेष, घाटे में भी बदल सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि व्यापार वार्ताओं के ज़रिये हालात को बेहतर किया जा सकता है.
भारत के लिए बढ़ेगा प्रतिस्पर्धा का खतरा
उच्च टैरिफ के चलते भारत के उत्पाद चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में महंगे पड़ सकते हैं.
चीन पर टैरिफ: 30%
वियतनाम: 20%
इंडोनेशिया: 19%
जापान: 15%
भारत पर 50% टैरिफ के चलते भारतीय एक्सपोर्टर्स को अमेरिकी मार्केट में बने रहना और कठिन हो सकता है.
अमेरिकी बाजार में भारत की स्थिति
कपड़ा सेक्टर: पिछले 5 वर्षों में भारत ने अमेरिका में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है.
रत्न-आभूषण: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ग्राहक बना हुआ है.
टैरिफ की इस मार से इन क्षेत्रों की सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो सकती है, जिससे लाखों लोगों के रोजगार पर असर पड़ने की आशंका है.
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