बांग्लादेश की अंतरिम सत्ता संरचना इन दिनों अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां और कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं. सेना प्रमुख ने यूनुस सरकार को दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है. वहीं, यूनुस ने समर्थन न मिलने पर इस्तीफा देने की चेतावनी दे दी है.
सूत्रों के अनुसार, जनरल जमां ने सरकार के म्यांमार कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर भी तीखा विरोध जताया है, जिसे रणनीतिक दृष्टिकोण से सेना अस्वीकार्य मानती है. यह विवाद तब और चौंकाने वाला बन गया, जब यह ध्यान में आया कि बीते वर्ष अगस्त में हसीना सरकार के पतन के बाद यूनुस को सत्ता में लाने में जनरल जमां की अहम भूमिका थी.
पलटे समीकरण: कभी साथ थे, अब आमने-सामने
शेख हसीना के खिलाफ जनता और छात्र आंदोलनों के चलते अगस्त 2024 में उनका शासन ध्वस्त हो गया था. इसके बाद हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली. हालात को नियंत्रित करने के लिए जनरल जमां के समर्थन से मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन यूनुस सरकार द्वारा चुनावों को लगातार टालने के प्रयासों ने सेना को नाराज कर दिया है. जनरल जमां का स्पष्ट कहना है, "देश का भविष्य अब निर्वाचित सरकार ही तय करेगी."
जनरल वकार उज जमां: बांग्लादेश की सत्ता में एक निर्णायक चेहरा
जनरल वकार उज जमां ने जून 2024 में बांग्लादेश के सेना प्रमुख का पद संभाला था, उस समय देश में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर थी. 1966 में ढाका में जन्मे जनरल जमां, दिसंबर 1985 में बांग्लादेश सेना में शामिल हुए थे. चार दशकों से अधिक के सैन्य अनुभव के साथ, उन्होंने विभिन्न संवेदनशील और रणनीतिक पदों पर सेवाएं दी हैं. सेना प्रमुख बनने से पहले वे चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (CGS) और आर्म्ड फोर्सेज डिवीजन के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में देश का प्रतिनिधित्व किया है. उनकी शिक्षा भी प्रभावशाली रही है. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश से डिफेंस स्टडीज और किंग्स कॉलेज लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उनकी पत्नी सरहनज, पूर्व सेना प्रमुख जनरल मुस्तफिजुर रहमान की बेटी हैं, जो शेख हसीना के पहले कार्यकाल (1997–2000) में सेना प्रमुख रह चुके हैं.
क्या बांग्लादेश में फिर होगी सत्ता की हलचल?
जनरल जमां के स्पष्ट रुख के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं. यदि यूनुस चुनाव की तारीख तय नहीं करते, तो यह सत्ता परिवर्तन या नई अस्थायी व्यवस्था की ओर इशारा कर सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश एक बार फिर से संवैधानिक संकट की दहलीज पर खड़ा है. अगला कदम तय करेगा कि देश लोकतांत्रिक चुनावों की ओर बढ़ेगा या सेना की भूमिका और गहरी हो जाएगी.
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