आज की दुनिया में सैन्य ताकत और सुरक्षा सबसे अहम विषयों में से एक बन चुकी है. हर देश अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए आधुनिक और शक्तिशाली हथियारों की खरीद में लगा हुआ है. लेकिन जहां कुछ देश हथियार खरीदते हैं, वहीं कुछ देश ऐसे हैं जो उन्हें बनाकर पूरी दुनिया को बेचते हैं. हथियारों के इस वैश्विक व्यापार में कुछ नाम ऐसे हैं जो सालों से टॉप पर बने हुए हैं.
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कौन-कौन से देश दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार बेचते हैं, उनका वैश्विक बाजार में कितना हिस्सा है, और भारत इस रेस में कहां खड़ा है.
वैश्विक हथियार व्यापार पर एक नजर
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 से 2022 के बीच जो भी हथियार दुनिया में निर्यात किए गए, उनमें से करीब 76% केवल पांच देशों से आए. ये देश हैं:
अमेरिका
रूस
फ्रांस
चीन
जर्मनी
इन देशों ने रक्षा तकनीक, भारी निवेश और रणनीतिक सहयोग की मदद से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली है.
अमेरिका – सबसे बड़ा हथियार निर्यातक
दुनिया में हथियार बेचने के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका नंबर 1 पर बना हुआ है. SIPRI के आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच अमेरिका ने दुनिया भर के कुल हथियार निर्यात में 43% की हिस्सेदारी रखी. यह आंकड़ा 2015-2019 की तुलना में 21% ज्यादा है.
अमेरिका की ताकत कहां है?
अमेरिका के पास Lockheed Martin, Boeing, Raytheon Technologies जैसी विशाल रक्षा कंपनियां हैं.
ये कंपनियां F-35 फाइटर जेट, Patriot मिसाइल सिस्टम, और MQ-9 Reaper ड्रोन जैसे एडवांस हथियार बनाती हैं.
अमेरिका अपनी तकनीक के साथ-साथ सैन्य सहायता (military aid) भी देता है जिससे कई छोटे देश भी इसके ग्राहक बन जाते हैं.
अमेरिका के प्रमुख ग्राहक:
फ्रांस – रूस को पछाड़कर दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक
हाल के वर्षों में फ्रांस ने तेजी से अपनी स्थिति मजबूत की है. अब वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन चुका है. साल 2020-24 के बीच फ्रांस के निर्यात में 11% की वृद्धि दर्ज की गई.
फ्रांस की खासियत:
फ्रांस की तकनीक क्यों लोकप्रिय है?
रूस – गिरावट के साथ तीसरे स्थान पर
जहां एक समय रूस हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था, वहीं अब यह तीसरे स्थान पर खिसक चुका है. यूक्रेन युद्ध और आर्थिक चुनौतियों के चलते रूस के हथियार निर्यात में 64% तक गिरावट आई है.
गिरावट के प्रमुख कारण:
युद्ध के चलते रूस को घरेलू जरूरतों के लिए हथियार बनाने पड़े.
वैश्विक प्रतिबंधों और आर्थिक संकट ने हथियारों का उत्पादन और निर्यात प्रभावित किया.
रूस के पारंपरिक ग्राहक:
हालांकि भारत अब धीरे-धीरे दूसरे विकल्पों की ओर भी बढ़ रहा है.
चीन – चौथे नंबर पर, लेकिन सीमित तकनीक
चीन हथियार बेचने वाले देशों में चौथे स्थान पर है. इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 5.8% है. हालांकि, 2020-24 की अवधि में इसके निर्यात में 5.4% की गिरावट देखी गई.
चीन की रणनीति:
चीन के हथियार तकनीक के मामले में अमेरिका और फ्रांस से पीछे हैं.
लेकिन इसकी कीमतें सस्ती होती हैं, इसलिए अफ्रीका और एशिया के छोटे देश इन्हें खरीदना पसंद करते हैं.
चीन के मुख्य ग्राहक:
जर्मनी – पांचवें स्थान पर, भारी हथियारों की मांग
जर्मनी विश्व हथियार बाजार में पांचवें नंबर पर है. इसका कुल हिस्सा 5.6% है. हालांकि, 2020-24 के दौरान इसके निर्यात में 14% की गिरावट आई है.
जर्मनी की खासियत:
भारत – हथियारों के निर्यात में उभरती शक्ति
जहां भारत अब तक हथियारों का बड़ा खरीदार रहा है, वहीं अब वह हथियार बेचने वाले देशों की सूची में अपनी जगह बना रहा है. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के चलते भारत अब तेजी से रक्षा उत्पादों का निर्माण कर रहा है.
भारत की निर्यात यात्रा:
भारत आज करीब 100 से अधिक देशों को हथियार निर्यात करता है.
भारत की सरकारी कंपनियां जैसे DRDO, HAL, BEL, और कई निजी कंपनियां वैश्विक स्तर पर काम कर रही हैं.
भारत के प्रमुख खरीदार:
भारत के निर्यात उत्पाद:
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