दुनिया में कहां-कहां और कैसे फटते हैं ज्वालामुखी? जानिए इसके बारे में सब कुछ

    आइसलैंड में एक और ज्वालामुखी विस्फोट हुआ, जो इस देश के लिए 2021 के बाद बारहवां विस्फोट है.

    Where how do volcanoes erupt in world
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    आइसलैंड में एक और ज्वालामुखी विस्फोट हुआ, जो इस देश के लिए 2021 के बाद बारहवां विस्फोट है. इस बार, ग्रिंडाविक शहर में भी लगातार ज्वालामुखी गतिविधियां हो रही हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल किसी भी नए लावा प्रवाह से शहर को कोई खतरा नहीं है. आइसलैंड के मौसम विभाग ने बताया कि विस्फोट से निकलने वाला लावा बंजर जमीन पर 700 से 1,000 मीटर चौड़ी दरार से दक्षिण-पूर्व की ओर बह रहा है, और फिलहाल यह लावा किसी भी बुनियादी ढांचे के लिए खतरे की वजह नहीं बन रहा है.

    ज्वालामुखी विस्फोट: एक भौगोलिक घटना

    ज्वालामुखी विस्फोट पृथ्वी की आंतरिक संरचना के कारण होते हैं, जो हमारे ग्रह के भीतर हुए बदलावों का परिणाम होते हैं. धरती के अंदर इतनी गर्मी होती है कि कुछ चट्टानें पिघलकर गाढ़े पदार्थ, जिन्हें हम मैग्मा कहते हैं, में बदल जाती हैं. यह मैग्मा पृथ्वी की सतह पर दरारों और छिद्रों के माध्यम से बाहर निकलता है और ज्वालामुखी विस्फोट में बदल जाता है. ज्वालामुखी विस्फोट से जो पिघली हुई चट्टान बाहर निकलती है, उसे लावा कहा जाता है.

    ज्वालामुखी कैसे फटते हैं, इसे समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को देखना होगा. सबसे ऊपरी परत को "स्थलमंडल" (Crust) कहा जाता है, जिसमें सख्त चट्टानों और अर्ध-ठोस क्षेत्र शामिल हैं. जब पृथ्वी की गहराई में जमा मैग्मा, जो विभिन्न गैसों और खनिजों से भरपूर होता है, सतह के पास पहुंचता है तो यह चिपचिपी चट्टान के रूप में फटकर ज्वालामुखी विस्फोट का रूप लेता है. इस प्रक्रिया में मैग्मा में उपस्थित गैसें, जैसे पानी, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड, बढ़ती हैं और अंततः लावा के रूप में पृथ्वी की सतह पर बाहर निकल आती हैं.

    लावा का आकार और ज्वालामुखी के प्रकार

    लावा की चिपचिपाहट और प्रवाह की प्रकृति के आधार पर ज्वालामुखियों के आकार में भी भिन्नता आती है. अगर लावा बहुत पतला होता है तो यह दूर-दूर तक बह सकता है और चौड़े ढाल वाले ज्वालामुखी का रूप लेता है. वहीं, अगर लावा गाढ़ा होता है तो यह शंकु के आकार में जमा होकर एक शंक्वाकार ज्वालामुखी बनाता है. ऐसे में लावा ज्वालामुखी के मुंह में जमा हो जाता है और जब दबाव बढ़ता है, तो विस्फोट होने पर "लावा गुंबद" बन सकता है.

    ज्वालामुखी कहां होते हैं?

    दुनिया में सबसे अधिक ज्वालामुखी टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर होते हैं. जहां इन प्लेटों के बीच टकराव, धक्का या खिसकने की प्रक्रिया होती है, वहां ज्वालामुखी सक्रिय होते हैं. दुनिया में तीन प्रमुख बेल्ट्स हैं जहां ज्वालामुखी अधिकतम रूप से पाए जाते हैं:

    • पैसिफिक रिंग ऑफ फायर: यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला हुआ है और यहां दुनिया के 75% से भी ज्यादा ज्वालामुखी स्थित हैं. इंडोनेशिया में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं.
    • मिड-वर्ल्ड माउंटेन बेल्ट: यह बेल्ट हिमालय और अल्पाइन पर्वत श्रृंखला के आसपास फैला हुआ है, जिसमें कुछ ज्वालामुखी स्थित हैं.
    • अफ्रीकी रिफ्ट वैली बेल्ट: यह बेल्ट पूर्वी अफ्रीका में स्थित है और यहां भी कई सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जैसे माउंट किलिमंजारो और माउंट मेरू.

    इसके अलावा, कुछ ज्वालामुखी "हॉट स्पॉट" क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं, जैसे हवाई द्वीपसमूह.

    ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली चीजें और उनके उपयोग

    हालांकि ज्वालामुखी विस्फोटों से उत्पन्न होने वाली राख और लावा को आमतौर पर विनाशकारी समझा जाता है, लेकिन इनसे निकलने वाली चीजों का पर्यावरण और मानव जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. कुछ लाभ भी हैं जो हम इन घटनाओं से प्राप्त कर सकते हैं:

    • उपजाऊ मिट्टी: ज्वालामुखी विस्फोटों से निकलने वाला लावा और राख पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. जब ये ठंडा होकर मिट्टी में मिलते हैं, तो भूमि अत्यधिक उपजाऊ हो जाती है. इस कारण ज्वालामुखी क्षेत्रों में खेती का उत्पादन बहुत अधिक होता है, जैसे इटली में माउंट विसुवियस के आसपास अंगूरों की खेती.
    • खनिज और बेशकीमती पत्थर: ज्वालामुखी लावा में कई तरह के खनिज पाए जाते हैं. ओब्सीडियन (प्राकृतिक कांच) और प्युमिस (हल्की चट्टान) जैसी चीजों का उपयोग विभिन्न निर्माण कार्यों में किया जाता है.
    • जियोथर्मल ऊर्जा: ज्वालामुखी क्षेत्रों में निकलने वाली भाप और गर्म पानी से जियोथर्मल ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन में होता है. यह एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो आइसलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.
    • पर्यटन: ज्वालामुखी और उनके आसपास के क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. यहां लोग ट्रैकिंग, हॉट स्प्रिंग्स और जियोथर्मल गतिविधियों का आनंद लेते हैं. इस तरह से ज्वालामुखी क्षेत्रों में पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है.

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