मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को हरी झंडी दे दी है. बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCPA) की बैठक में यह फैसला लिया गया कि मुख्य जनगणना के साथ ही जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे. जाति जनगणना का सीधा मतलब है कि देश में किसी जाति के कितने लोग हैं. इसे स्पष्ट आंकड़े सामने रखे जाएंगे. सरकार के इस निर्णय के साथ एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर यह प्रक्रिया होती कैसे है? सरकार कैसे एक-एक नागरिक तक पहुंचकर उसकी जानकारी जुटाती है? इसमें किन-किन बातों पर ध्यान दिया जाता है?
जनगणना कैसे होती है?
जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में होती है
1. हाउसिंग सेंसस (घर से जुड़ी जानकारी)
2. जनसंख्या गणना (व्यक्ति से जुड़ी जानकारी)
हाउसिंग सेंसस में पूछा जाता है कि घर पक्का है या कच्चा, बिजली, शौचालय और पानी की व्यवस्था की जानकारी ली जाती है. घर का स्वामित्व किसका है यह भी पता लगाया जाता है. वहीं जनसंख्या गणना में कई अहम सवाल पूछे जाते हैं.
जनसंख्या गणना में पूछे जाने वाले सवाल:
व्यक्ति का नाम, लिंग, जन्मतिथि
माता-पिता के नाम
वैवाहिक स्थिति
धर्म, भाषा, जाति (अब शामिल होने की संभावना)
स्थायी व वर्तमान पता
परिवार में मुखिया कौन है और उनसे संबंध क्या है
एन्यूमेरेटर तैनात करती है सरकार
हर क्षेत्र में सरकार एन्यूमेरेटर नामक कर्मचारियों को तैनात करती है, जो घर-घर जाकर जानकारी जुटाते हैं. इनके पास सरकारी पहचान पत्र होता है और इन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जनगणना की सभी जानकारियां जनगणना अधिनियम 1948 के तहत गोपनीय रहती हैं. इन्हें किसी निजी एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जाता.
जाति जनगणना क्यों है अहम?
जातिगत आंकड़ों से सरकार को नीतिगत फैसले, आरक्षण की समीक्षा, सामाजिक कल्याण योजनाएं और संसाधनों का समुचित वितरण तय करने में मदद मिलेगी. इससे यह भी पता चलेगा कि किन वर्गों को अब भी मुख्यधारा से जोड़ने की ज़रूरत है.
2026 तक जारी हो सकते हैं आंकड़े
बता दें कि कोविड महामारी के कारण 2021 की जनगणना टल गई थी, लेकिन अब 2025 में इसे कराने की योजना है और 2026 तक इसके आंकड़े सार्वजनिक किए जा सकते हैं. इस बार की जनगणना सिर्फ संख्या तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें धर्म, जाति, वर्ग और संभवतः सम्प्रदाय से जुड़ी जानकारी भी शामिल हो सकती है.
भारत में कब-कब हुई जनगणना?
भारत में पहली जनगणना 1872 में हुई थी, लेकिन पूर्ण राष्ट्रव्यापी जनगणना पहली बार 1881 में हुई. तब से हर 10 साल में यह प्रक्रिया जारी है. आज़ादी के बाद 1951, 1961, 1971, 1991, 2001 और 2011 में जनगणनाएं हो चुकी हैं. अब अगली जनगणना 2025 में प्रस्तावित है.
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