What is UAE ritual Al-Ayyala:अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब अपने मिडिल ईस्ट दौरे के अंतिम चरण में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचे, तो अबू धाबी के ज़ायद एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया. जहां यह दौरा राजनीतिक और आर्थिक लिहाज से महत्वपूर्ण रहा, वहीं एक परंपरागत सांस्कृतिक प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींच लिया और इंटरनेट पर वायरल हो गया.
वायरल वीडियो में, ट्रंप के स्वागत के दौरान पारंपरिक सफेद परिधानों में महिलाएं और पुरुष एक खास प्रदर्शन करते नजर आते हैं, जिसमें महिलाएं अपने लंबे खुले बालों को लहराती दिख रही हैं और पुरुष एक विशेष नृत्य शैली में सम्मिलित होते हैं. इस आकर्षक दृश्य का संबंध यूएई की एक प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा ‘अल-आय्याला’ से है, जो न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि गौरव, वीरता और एकता का प्रतीक भी मानी जाती है.
क्या है अल-आय्याला?
अल-आय्याला यूएई और खाड़ी देशों की पारंपरिक लोकनृत्य शैली है, जिसे आमतौर पर उत्सवों, राष्ट्रीय अवसरों और उच्च-स्तरीय स्वागत आयोजनों में प्रस्तुत किया जाता है. इसे आम भाषा में "युद्ध नृत्य" भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें प्रदर्शनकर्ता दो पंक्तियों में खड़े होकर पतली बांस की छड़ियों को इस तरह लहराते हैं जैसे तलवारों से युद्ध हो रहा हो.
The #UAE United Arab Emirates beat Saudi Arabia and Qatar to Trump's welcome. US President #Donald #Trump was welcomed by "Arab women" with open hair and waving his hands upon his arrival in the Emirates..!#ترامب#الامارات_ترحب_بالرييس_الامريكي pic.twitter.com/ku55rHRdm4
— ᴰᵃˢʳᵃᵗ ᴿᵃⁱ ᴹᵉᵍʰʷᵃʳ 🇧🇫 (@DasratRai) May 15, 2025
इस नृत्य में प्रमुख रूप से पुरुष भाग लेते हैं, जो पारंपरिक वस्त्र पहनकर एक निश्चित ताल पर आगे-पीछे झुकते हैं और युद्ध जैसी मुद्राओं में छड़ियां घुमाते हैं. इस दौरान नबाती शैली की कविता गाई जाती है, जो वीरता, साहस और भाईचारे के संदेश देती है.
महिलाओं की भूमिका और खासियत
वीडियो में जिस तरह से महिलाएं अपने खुले बालों को लहराती नजर आती हैं, वह इस परंपरा का एक नया समावेश है. यह शैली संस्कृति और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है, जिसमें महिलाएं गरिमा के साथ प्रदर्शन में अपनी भूमिका निभाती हैं, जबकि पुरुष मुख्य रूप से नृत्य और गायन में भाग लेते हैं.
क्यों है अल-आय्याला इतनी खास?
यूनेस्को की मान्यता: 2014 में यूनेस्को ने ‘अल-आय्याला’ को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया था, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परंपरा बन गई है. राष्ट्रीय एकता का प्रतीक: यह नृत्य केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि यूएई की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है. सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा: ‘अल-आय्याला’ आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी यूएई के लोग सीखते और सहेजते हैं, ताकि उनकी सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहे.
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