उत्तराखंड के चंपावत ज़िले में स्थित एक सरकारी कार्यालय से जारी हुआ एक अजीबो-गरीब नोटिस इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. आमतौर पर सरकारी दस्तावेज़ खोने पर जांच या शिकायत प्रक्रिया अपनाई जाती है, लेकिन यहां ‘दैवीय न्याय’ का सहारा लिया जा रहा है. वो भी चावल चढ़ाकर
सरकारी फाइल नहीं मिली तो मांगे गए ‘दो मुट्ठी चावल’
मामला लोहाघाट के अधिशासी अभियंता कार्यालय का है, जहां अपर सहायक अभियंता जयप्रकाश की सर्विस बुक अचानक कार्यालय से लापता हो गई. काफी खोजबीन के बावजूद जब दस्तावेज़ नहीं मिले, तो समाधान के लिए कर्मचारियों ने कुछ ऐसा सुझाव दिया जिसने सभी को हैरान कर दिया. कार्यालय की ओर से जारी एक नोटिस के अनुसार, सभी कर्मचारियों को 17 मई को कार्यालय पहुंचकर अपने घर से दो-दो मुट्ठी चावल लाने और उन्हें मंदिर में चढ़ाने को कहा गया. माना जा रहा है कि ऐसा करने से ‘देवता’ सच्चाई सामने लाने में मदद करेंगे और दोषी को उजागर करेंगे.
नोटिस हुआ वायरल, अधिकारी बोले – हमने साइन नहीं किया
इस विचित्र आदेश की प्रति जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो कई लोगों ने हैरानी जताई और सरकारी प्रक्रिया पर सवाल उठाए. इसी बीच अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार ने सफाई देते हुए बताया कि यह प्रस्ताव कर्मचारियों की आपसी बातचीत के बाद आया था और इसमें उनकी स्वीकृति नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वायरल हो रहा नोटिस उनके हस्ताक्षर वाला नहीं है और मामले की गंभीरता को देखते हुए अभी जांच की जा रही है.
दैवीय न्याय बनाम प्रशासनिक प्रक्रिया
इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या 21वीं सदी में भी सरकारी कार्यालयों में दस्तावेजों की चोरी या गुमशुदगी जैसे मामलों में इस तरह के उपाय जायज़ हैं? जहां एक ओर साइबर गवर्नेंस और डिजिटल रिकॉर्ड की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर चावल चढ़ाकर दोषी को खोजने की कोशिशें सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रही हैं.
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