वॉशिंगटन: अमेरिकी राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब मैनहट्टन स्थित इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रपति ने अपने संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर ट्रेड पॉलिसी में हस्तक्षेप किया है, जो कानूनन गलत है.
इमरजेंसी पावर का दुरुपयोग नहीं चलने वाला
बुधवार, 29 मई को सुनवाई के दौरान तीन जजों की पीठ ने कहा, "राष्ट्रपति की ओर से टैरिफ को आर्थिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना न सिर्फ कानून की भावना के खिलाफ है, बल्कि यह फेडरल लॉ का उल्लंघन भी है. हम ट्रंप की मंशा या रणनीति की सफलता पर टिप्पणी नहीं कर रहे, लेकिन यह कदम कानूनी रूप से वैध नहीं है."
कोर्ट ने सरकार को 10 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश भी दिया है. साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका का संविधान विदेशी व्यापार को रेगुलेट करने का अधिकार कांग्रेस को देता है, न कि कार्यपालिका को.
क्या है मामला?
3 अप्रैल को डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक दुनिया के कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इनमें भारत, चीन, यूरोपीय यूनियन, जापान, कोरिया, वियतनाम और ताइवान जैसे बड़े नाम शामिल थे. घोषित दरें कुछ इस तरह थीं:
ट्रंप प्रशासन का कहना था कि यह टैरिफ "रेसिप्रोकल" यानी जैसे को तैसा नीति पर आधारित है. उन्होंने दलील दी कि यदि भारत अमेरिका से आयात पर 52% टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भारत से आने वाले उत्पादों पर उसका आधा – 26% – टैरिफ लगाएगा.
टैरिफ क्या होता है?
सीधे शब्दों में कहें तो टैरिफ एक सीमा शुल्क है, जो विदेश से आने वाले सामानों पर सरकार द्वारा वसूला जाता है. इससे विदेशी सामान महंगा हो जाता है और घरेलू उत्पादों को बढ़ावा मिलता है.
उदाहरण: यदि अमेरिका में किसी गाड़ी की कीमत ₹90 लाख है और भारत उस पर 100% टैरिफ लगाता है, तो उसकी कीमत यहां ₹1.8 करोड़ से ज्यादा हो जाती है.
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब?
इसका सीधा मतलब है, बराबरी की नीति. अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर 50% टैरिफ लगा रहा है, तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर उतना ही टैक्स लगाएगा.
ट्रंप का मानना था कि इस नीति से अमेरिका को अपने व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी.
मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के लिए टैरिफ जरूरी
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति उनके “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का अहम हिस्सा रही है. उनका दावा था कि सख्त टैरिफ से अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग को नई जान मिलेगी, रोजगार के मौके बढ़ेंगे और टैक्स से सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी.
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अमेरिका को चीन, मैक्सिको और कनाडा से बड़े पैमाने पर व्यापार घाटा हो रहा है. 2023 में अमेरिका का व्यापार घाटा कुछ इस तरह रहा:
इसी घाटे को कम करने के लिए 4 मार्च 2025 से चीन, कनाडा और मेक्सिको पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए गए थे.
अब आगे क्या होगा?
कोर्ट की सख्ती ने ट्रंप की टैरिफ नीति पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है. सरकार को अब अदालत में यह साबित करना होगा कि राष्ट्रपति को इतना अधिकार है कि वे एकतरफा व्यापारिक टैक्स तय कर सकें. यदि कोर्ट का फैसला ट्रंप के खिलाफ जाता है, तो यह अमेरिका में कार्यपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों की नई बहस को जन्म दे सकता है.
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